ऊधमसिंह नगर में एनएच मुआवजा घोटाले के बाद अब शौचालय निर्माण में बड़ा घोटाला सामने आया है। स्वच्छ भारत अभियान और मनरेगा के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में आधे-अधूरे शौचालय बनाकर लाखों-करोड़ों रुपये का गोलमाल किया गया है। इन गांवों में ग्रामीण अब भी खुले में शौच कर रहे हैं। जबकि यूएस नगर और उत्तराखंड को ओडीएफ भी घोषित कर दिया गया है।
काशीपुर से महज 17 किलोमीटर दूर कुंडेश्वरी न्याय पंचायत में एक गांव पड़ता है गुलजारपुर। इस गांव के अंतर्गत आने वाली जगतपुर राज कॉलोनी में करीब 40 परिवारों के पिछले छह महीने में शौचालय बनवाए गए हैं। लेकिन, अब तक किसी भी व्यक्ति का शौचालय शुरू नहीं हुआ है। खानापूर्ति के नाम पर सिर्फ दीवारें खड़ी कर टॉयलेट सीट लगा दी गई हैं। न ही गटर बनाये गए हैं, न ही कनेक्शन शुरू किये गए हैं। यही हाल गुलजारपुर गांव के अंतर्गत आने वाली सेमलपुरी कॉलोनी का है। यहां तो हालत और भी बदतर हैं। चार-पांच महीने पहले खड़ी की गई शौचालय की दीवारें आंधी-तूफान में ही गिर गई। ग्रामीणों का आरोप है कि ठेकेदार ने रेत में मानक के मुताबिक सीमेंट ही नहीं मिलाया इससे दीवार भरभराकर गिर गई।
जगतपुर राज कॉलोनी के मंगली सिंह ने बताया कि करीब छह महीने पहले गांव में कुछ लोग आए। खुद को सरकारी अधिकारी बताकर शौचालय बनाने के लिए कहा। हमने जगह दिखाई और कुछ ही घंटे में उन्होंने शौचालय की दीवार खड़ी कर दी। मंगली ने बताया कि ठेकेदार ने गटर के नाम पर गड्ढा भी मात्र दो फीट खोदा। कनेक्शन भी चालू नहीं किया। उनका परिवार अब भी खुले में शौच करने को मजबूर है। मंगली के ही भाई प्रेम सिंह के यहां भी ठेकेदार ने शौचालय के नाम पर दीवार खड़ी कर दी। इसमें भी कनेक्शन नहीं हुआ। और तो और गटर भी नहीं बनवाया। जगतपुर कॉलोनी के रामकिशोर, हेतराम के यहां भी ऐसे ही शौचालय की दीवार खड़ी की गई है। रामकिशोर ने बताया कि ठेकेदार ने एक दिन में ही गांव के पांच-पांच लोगों के शौचालय बना दिये। लेकिन, चालू किसी का भी नहीं हुआ।
सेमलपुरी निवासी मेघा सिंह के यहां भी चार महीने पहले शौचालय बनाया गया। लेकिन, शौचालय चालू नहीं हुआ। दीवार भी लगता है मानो बिना सीमेंट की बनाई। एक आंधी में ही दीवार टूट गई। बाद में शौचालय सीट खुद ही उन्होंने हटा ली।
सेमलपुरी की ही अतरकली ने बताया कि चार महीने पहले सरकारी मदद के नाम पर एक ठेकेदार ने दीवार खड़ी कर दी। आरोप है कि नींव ही नहीं खोदी। इससे दस दिन में ही दीवार गिर गई। गटर नहीं बनाए जाने के कारण कनेक्शन शुरू ही नहीं हो सका। अब तो दीवारें भी नहीं रह गईं। अतरकली ने बताया कि उसकी छह बेटियां हैं। वो कई बार अधिकारियों और नेताओं को शौचालय के लिए बोल चुकी है। लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं हुई।
जिला पंचायत सदस्य जितेन्द्र सिंह ने आरोप लगाया है कि शौचालय निर्माण में बड़ा घोटाला हुआ है। उन्होंने बताया कि शौचालय निर्माण के लिए सरकार से 12000 रुपये का अनुदान मिला था। लेकिन, मौके पर जिस तरह सिर्फ दीवार खड़ी की गई है उसमें 3000 रुपये से अधिक की लागत नहीं आई है। लिहाजा साफ है प्रत्येक शौचालय में 9000 रुपये का गबन किया गया है। पूरे जिले में अगर ऐसा ही हुआ है तो यह घोटाला करोड़ों रुपये में पहुंचेगा।
जिला प्रशासन यूएस नगर को अखबारों और टीवी चैनलों में खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) घोषित दिखा चुका है। यहीं नहीं राष्ट्रीय रिकॉर्ड बताकर अधिकारी अपने नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज करवा चुके हैं। 13 अक्तूबर 2016 को तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी डॉ.आशीष श्रीवास्तव को भी सर्टिफिकेट से नवाजा गया था। अब सोचने का विषय है कि क्या अधिकारियों ने बिना जांच किये ही आंख बंदकर जिले को ओडीएफ मान लिया था।