नाबार्ड के भरोसे दो लाख लोगों की प्यास

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प्रदेश के दो लाख लोगों की प्यास बुझाने को अब पेयजल निगम नाबार्ड का मुंह ताक रहा है। पांच साल से अधर में लटकी एनआरडीडब्ल्यूपी (राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल मिशन) व राज्य सेक्टर के तहत स्वीकृत नौ योजनाओं को बजट का इंतजार है। अब इनको पूरा करने के लिए पेयजल निगम ने नाबार्ड का दरवाजा खटखटाया है। नाबार्ड के तहत इन योजनाओं को पूरा करने के लिए निगम ने शासन को बजट का प्रस्ताव बनाकर भेज दिया है। निगम ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही शासन से स्वीकृति मिल जाएगी, जिसके बाद लंबित पड़ी इन नौ योजनाओं को पूरा कर लिया जाएगा। एनआरडीब्ल्यूपी के तहत पेयजल निगम ने पांच साल पहले प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में 192.63 करोड़ रुपये की लागत से नौ योजनाओं का निर्माण शुरू किया था। इन योजनाओं को पूरा करने के लिए पेयजल निगम को 39.53 करोड़ रुपये ही दिया गया। इससे इन योजनाओं को लगभग 10 फीसद ही पूरा किया जा सका। इसके बाद केंद्र की ओर से कोई बजट जारी नहीं किया गया। इसके बाद से योजनाएं अधर में लटकी हैं। योजनाओं के पूरा न होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों की करीब दो लाख की आबादी पानी का संकट झेल रही है। 

पेयजल निगम इस संबंध में एक दर्जन से ज्यादा पत्र केंद्र को भेज चुका है, लेकिन पैसा जारी नहीं किया गया। चूंकि, अब केंद्र की ओर से एनआरडीडब्ल्यूपी का बजट काफी कम कर दिया है तो फिलहाल इस मद से योजनाओं को पूरा कर पाना संभव नहीं दिख रहा। इस कारण ही निगम ने अब योजनाओं को पूरा करने के लिए 153.10 करोड़ रुपये की नाबार्ड से मांग की है।
जल संस्थान के मुख्य अभियंता प्रभात राज ने बताया कि ये नौ योजनाएं एनआरडीडब्ल्यूपी व राज्य सेक्टर के तहत स्वीकृत हुई थी, लेकिन बजट के अभाव में इन योजनाओं को पूरा नहीं किया जा सका। अब निगम नाबार्ड के तहत योजनाओं का कार्य पूरा करने का प्रयास कर रहा है।