किसानों के कर्ज में ब्याज माफी ‘ऊंट के मुंह में जीरा’: प्रीतम

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किसानों द्वारा सहकारी बैंकों से लिए गए ऋण की ब्याज माफी के प्रदेश सरकार के फैसले को कांग्रेस ने नाकाफी बताया। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने प्रदेश में साल 2013 में आई आपदा से प्रभावित किसानों के लिए इस फैसले को ‘ऊंट के मुंह में जीरे के समान बताया’। उन्होंने सरकार से किसानों के लिए संपूर्ण ऋण माफी की मांग की।

प्रीतम ने सहकारिता मंत्री डा. धन सिंह रावत के किसानों के ऋण पर ब्याज माफी संबंधी बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखंड के सभी किसान गरीब परिवारों से आते हैं। उनकी आय का एकमात्र साधन मात्र खेती है। पर्वतीय राज्य होने के कारण यहां के किसानों की खेती वर्षा जल पर ही निर्भर करती है। इसके अलावा अधिक बारिश व ओला वृष्टि होने के कारण यहां के किसानों की सब्जी, फल समेत सभी फसलें पूर्ण रूप से बर्बाद हो जाती हैं। ऐसी परिस्थितियो में बैंकों व साहूकारों से लिया गया कर्ज लौटाने में किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। बैंकों ने जिस प्रकार किसानों पर कर्ज लौटाने के लिए विभिन्न माध्यमों से दबाव बनाया है उससे किसानों को आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में भी किसानों के कर्ज माफ करने का वादा किया था लेकिन अब सरकार उससे विमुख होती जा रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 में उत्तराखंड राज्य में आई दैवीय आपदा से प्रभावित लोग बमुश्किल उबर पाए हैं। सरकार की मात्र ब्याज माफी की घोषणा उन्हें राहत पहुंचाने के लिए नाकाफी है। उन्होंने कहा कि राज्य में समय-समय पर हुई अतिवृष्टि व 2013 में आई भीषण आपदा को देखते हुए उत्तराखंड राज्य के किसानों का सम्पूर्ण ऋण माफ किया जाना चाहिए।