जर्जर स्कूल छोड़ टिन के नीचे पढ़ने को मजबूर छात्र

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भारी बारिश से स्कूली बच्चों के लिए मुसीबत बनी हुई है। आलम यह है कि छोटे बच्चे जर्जर स्कूलों में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। इतना ही नहीं कई स्कूलों में यह बच्चे जान हथेली पर रखकर ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं, हालांकि शिक्षा विभाग स्कूलों की मरम्मत जल्द कराने के दावे कर रहा है।
राज्य के कई स्कूलों में बच्चे एक हाथ में किताब और दूसरे हाथ में जान हथेली पर रखकर पढ़ने को मजबूर हैं। सरकार की ओर से इन जर्जर हो चुके स्कूलों की मरम्मत के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यह तस्वीर किसी एक स्कूल की नहीं बल्कि कई जिलों के दर्जनों स्कूलों में यही हाल है। ऐसा ही कुछ हाल क्यार्क वरसूड़ी के राजकीय जूनियर हाईस्कूल का है। यहां स्कूल की जर्जर इमारत कभी भी भरभरा कर ढह सकती है। बारिश के दिनों में स्कूल के हालात और भी नाजुक बने हुए हैं। इसी कारण स्कूली बच्चों को मजबूरन टीन के छप्पर लगार मैदान में पढ़ाया जा रहा है।
स्कूल में कक्षा एक से कक्षा 10 तक के छात्र-छात्राओं की संख्या 110 है। इन सभी की कक्षाएं सामूहिक रूप से इसी भवन में चलाई जाती हैं लेकिन, भवन की स्थिति जीर्णशीर्ण होने के कारण यहां कभी भी कोई बड़ी घटना घटित हो सकती है। यही कारण है कि यह सभी छात्र सामूहिक रूप से टिन की छत के नीचे ही पढ़ाई कर रहे हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो शिक्षा विभाग को कई बार इसे लेकर जानकारी दी गई। लेकिन, अभी तक मामले में कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है।

बाकी जिलों के स्कूलों का भी हाल-बेहाल
आपदा प्रभावित जिलों के अलावा बाकी जिलों के स्कूलों का भी हाल बेहाल है। यहां भी दर्जनों की संख्या में स्कूल ढहने की कगार पर हैं। हालात यह कि यहां शिक्षक और छात्र दोनों ही जान हथेली पर रखकर पढ़ने और पढ़ाने को मजबूर हैं। इन हालातों के बाद भी विभाग इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। डर सिर्फ इस बात का है कि विभाग का ढुलमुल रवैया किसी दिन बड़ी घटना को अंजाम न दे दें।