मेट्रो ट्रेन दून शहर के भीतर भी दौड़ेगी और इसके लिए दो रूट प्रस्तावित किए गए हैं, एक रूट आइएसबीटी से कंडोली (राजपुर), जबकि दूसरा रूट एफआरआइ (वन अनुसंधान संस्थान) से रायपुर तक होगा। मेट्रो की डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) का प्रस्तुतीकरण मुख्य सचिव के सम्मुख किया जाएगा।
उत्तराखंड मेट्रो रेल कार्पोरेशन लिमिटेड, के प्रबंध निदेशक जितेंद्र त्यागी, के मुताबिक अब तक मेट्रो रेल का प्रस्तावित प्लान देहरादून से हरिद्वार व ऋषिकेश तक मुख्य मार्ग तक सीमित था। हालांकि, इसकी अधिक लागत और मुख्य मार्ग पर उसके अनुरूप पर्याप्त यात्रियों के अभाव को देखते हुए इसका विस्तार संबंधित शहरों के अंदरूनी हिस्सों में भी करने का निर्णय लिया गया है।
इस तरह मेट्रो रेल का जो कुल रूट पहले 73 किलोमीटर के करीब था, वह बढ़कर अब 100 किलोमीटर हो गया है। देहरादून के भीतर के दो रूट के अलावा हरिद्वार में बहादराबाद से हरिद्वार शहर के भीतर का रूट भी इसमें शामिल किया गया है। इसी तरह मेट्रो रेल परियोजना की जो लागत पहले 17 से 20 हजार करोड़ रुपये आंकी गई थी, वह अब बढ़कर 26 से 27 हजार करोड़ रुपये हो जाएगी। डीपीआर की प्रस्तुति के बाद इस पर स्थिति और स्पष्ट हो जाएगी, साथ ही मेट्रो रेल के कोचों की संख्या आदि को लेकर भी काफी कुछ तय कर लिया जाएगा। अगस्त तक डीपीआर को अंतिम रूप देकर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।
मेट्रो ट्रेन की तुलना बस से की जाए तो मेट्रो में बसों के मुकाबले सातवें हिस्से तक ऊर्जा की कम खपत होगी। इसके साथ ही यह ग्रीन ट्रांसपोर्ट पर आधारित व्यवस्था है और इसमें कार्बन उत्सर्जन का स्तर अपेक्षाकृत काफी कम रहेगा। मेट्रो का संचालन शुरू होने से ट्रैफिक जाम की समस्या पर भी अंकुश लग जाएगा।
दून में कुछ हिस्सा हो सकता है भूमिगतः वैसे तो मेट्रो ट्रेन का ट्रैक सड़क के बीचों-बीच डिवाइडर वाले भाग पर बनाया जाएगा। इसके लिए सड़क पर पिलर बनाए जाएंगे और उसके ऊपर बने ट्रैक पर मेट्रो चलेगी, लेकिन दून की मौजूदा स्थिति को देखते हुए माना जा रहा है कि यहां कुछ हिस्सों में भूमिगत (अंडरग्राउंड) ट्रैक भी बनाए जाएंगे।