केन्द्र की मध्यस्थता का मिला लाभ, उतराखंड को मिलेंगे 3000 हजार करोड़

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उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश ने परिसंपत्तियों के विवाद के निपटारे की दिशा में ठोस कदम बढ़ाए हैं। केंद्र सरकार की मध्यस्थता में दोनों राज्यों के आलाधिकारियों की बैठक में छह वर्षों से उत्तर प्रदेश से अटकी पड़ी पेंशन का मसला सुलझ गया है। उत्तराखंड को अब 31 मार्च, 2017 तक उत्तरप्रदेश से करीब 2933.13 करोड़ धनराशि के भुगतान का रास्ता साफ हो गया है।
राज्य सरकार इस फैसले से खासी राहत महसूस कर रही है। उत्तर प्रदेश के साथ परिसंपत्तियों के मसले में उत्तराखंड के बैकफुट पर रहने के विपक्ष के आरोपों का जवाब देने में भी सरकार सक्षम हो गई है।
बतातें चले कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच परिसंपत्तियों का विवाद लंबे अरसे से बरकरार है। इस विवाद को सुलझाने के लिए राज्य की सरकारों को अब तक कोई खास कामयाबी नहीं मिली है। बीते दिनों परिसंपत्तियों के मामले में उत्तराखंड के हाथ ज्यादा कुछ नहीं लगने के मुद्दे पर कांग्रेस ने सरकार पर जमकर निशाना साधा था। अब केंद्र की पहल के बाद राज्य सरकार को राहत मिली है। दोनों राज्यों के बीच पेंशन दायित्वों के विभाजन के प्रकरण कई वर्षों से लंबित चल रहे थे। महालेखाकार, देहरादून की ओर से इस संबंध में कुछ आपत्ति उठाने के कारण एक अप्रैल, 2011 से उत्तर प्रदेश पेंशन राशि की प्रतिपूर्ति उत्तराखंड को नहीं कर रहा है।
राज्य की नई त्रिवेंद्र सरकार ने इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय से आवश्यक कार्यवाही का अनुरोध किया था। इसके बाद बीती 10 जुलाई को गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव की पहल पर दोनों राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक हुई। बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि पेंशन दायित्व के भुगतान को लेकर कट ऑफ डेट तय नहीं की जा सकती।
यह भी तय हुआ कि उत्तर प्रदेश पेंशन की 2933.13 करोड़ राशि का भुगतान करेगा। इसके तहत निकट भविष्य में वित्त विभाग की ओर से पेंशन की लंबित राशि की मांग उत्तर प्रदेश सरकार से की जाएगी।
उत्तर प्रदेश के साथ पेंशन भुगतान का मसला सुलझने से राज्य सरकार की बांछें खिली हुई हैं। राज्य सरकार की केंद्र की मध्यस्थता में की गई पहल कामयाब होने से सत्तारूढ़ भाजपा को भी कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार का मौका मिल गया है। अब पेंशन की बड़ी धनराशि मिलने से उत्तराखंड को बड़ी परेशानी से निजात मिल सकेगी। साथ ही इस मामले पर जारी सियासत में उसे बैकफुट पर नहीं जाना पड़ेगा।