निर्देशक राकेश रोशन की बढ़ी मुश्किल

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नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रसिद्ध फिल्म निर्माता-निर्देशक राकेश रोशन की याचिका खारिज कर दी है। हाई कोर्ट ने पिछले दिनों उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी, लेकिन उनके खिलाफ इस बीच निचली कोर्ट में पुलिस द्वारा चार्जशीट दाखिल कर देने से हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक हटाते हुए याचिका खारिज की। अब चार्जशीट पर निचली अदालत में ही सुनवाई होगी। पिछले साल 21 मई को देहरादून के उपन्यासकार रूपनारायण सोनकर ने देहरादून के डालनवाला थाने में फिल्मकार राकेश रोशन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई की थी। इसमें कहा था कि फिल्मकार ने अपनी सुपरहिट फिल्म कृष-थ्री में बिना उनकी अनुमति के उनके उपन्यास सुअरदान के अंश लिए हैं। मुकदमा दर्ज होने के बाद राकेश रोशन ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसके बाद कोर्ट ने राकेश रोशन की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। सोनकर के अनुसार उनका उपन्यास सुअरदान 2010 में प्रकाशित हुआ और कृष-थ्री 2013 में प्रदर्शित हुई। फिल्म ने छह सौ करोड़ का बिजनेस किया।

वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की एकलपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि फिल्मकार राकेश रोशन के खिलाफ पुलिस निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल हो चुकी है। कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद राकेश रोशन की गिरफ्तारी पर रोक लगाने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया है। साहित्यकार सोनकर का आरोप है कि फिल्म कृष-थ्री की कहानी व उनके उपन्यास में कई दृश्य एकसमान हैं। जैसे उपन्यास में आदमी व जानवर को मिलाकर नया जीव बनाया गया है, यही फिल्म में भी दिखाया गया है।

उपन्यास का खलनायक व्हील चेयर पर है, जबकि फिल्म में भी नायक जानलेवा बीमारी से ग्रसित है। उपन्यास में खलनायाक को उपचार के लिए तिगड़ी फार्म के लोग न्यू जर्सी अमेरिका ले जाते हैं, वहीं फिल्म में मुंबई में भी जानलेवा बीमारी हो जाती है और उपचार के लिए सिंगापुर के डॉ. संजय मेहरा के पास ले जाया जाता है। उपन्यास की गर्भवती नायिका खलनायक के कब्जे में है, सह नायिका उसे बचाकर ले जाती है, यही फिल्म में भी दिखाया गया है। अंत में प्लेन क्रेश होने का सीन उपन्यास व फिल्म दोनों में है।