नहीं रहे उत्तराखंड के प्रतिभशाली शिकारी, ठाकुर दत्त जोशी

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ठाकुर दत्त, कुमांऊ के एक प्रसिद्ध शिकारी थे जिन्होंने लगभग 50 से ज्यादा आदमखोर जानवरों को मारा था,उनकी मृत्यु देर शाम बृहस्पतिवार को हुई। वह 82 साल के थे। पिछले कई रोज से वह बीमार थे और दिल्ली ले जाते समय उनकी रास्ते में ही मृत्यु हो गई।शुक्रवार को उनका अंतिम संस्कार रामनगर में किया गया।

जोशी, आम तौर पर मिनी कार्बेट के नाम से जाने जाते थे,उन्होंने 60 के दशक में उत्तराखंड फारेस्ट डिर्पाटमेंट में जिम कार्बेट के फारेस्ट गार्ड का पदभार संभाला था और इंसानों को खाने वाले जानवरों का शिकार भी किया था,जिसकी वजह से कुमांऊ में लोग उन्हें मिनी कार्बेट के नाम से पुकारते थे। उन्होंने अपना पहला शिकार 70 के दशक में एक तेंदुएं को मार कर किया था जो आदमखोर हो गया था।इसके बाद जब भी जंगल में कोई आदमखोर जानवर आता तो जंगल के अफसर जोशी जी को जानवरों का शिकार के लिए और पकड़ने के लिए बुलाते थे।

उम्र के साथ इनकी आंखों की रोशनी कमजोर होने लगी थी,लेकिन अगर उनसे कोई पूछता कि क्या वो अब भी बंदूक उठाने के लिए तैयार हैं तो वे कहते थे कि मैं शेर की आंखों में आंख डालकर देख सकता हूं, मैं डरता नही।

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के शिकारियों में जोशी जी एक ऐसे शिकारी की तरह जाने जाते थे जिसे बडें तेंदुए के बारे में सटीक ज्ञान था। फारेस्ट डिर्पाटमेंट के अनुसार जोशी ने 51 तेंदुएं मारे है जिसमें 15 चीते भी थे।

1996 में सेवा निवृत होने के बाद भी उनकी काबलियत और निशाने के पक्के होने की वजह से जरुरत पड़ने पर फारेस्ट डिर्पाटमेंट के आफिसर इन्हें नियमित रुप से अपने आफिस बुलाते रहते थे जिससे वो दूसरे शिकारियों की मदद कर सके।  

उनकी मृत्यु के साथ एक युग का अंत भी हो गया और साथ ही एक ऐसी प्रतिभा का जो हर किसी में आसानी से नहीं मिलती।उनकी मृत्यु उत्तराखंड हाई कोर्ट के उस फैसले के एक दिन बाद हुई जिसमें तेंदुएं को मारना या आदमखोर साबित करने पर मनाही है।कुछ साल पहले जोशी जी ने एक किताब लिखी थी – कुमांऊ के खौफनाक आदमखोर।शायद आने वाली जेनेरेशन मिनी कार्बेट को इस किताब से याद करे,जाने और पहचाने।