20 मिनट से अधिक समय तक बिजली शट-डाउन होने की हालत में अधिशासी अभियन्ता के खुद इलाके में हाजिरी लगानी होगी।इसके साथ ही अवर अभियन्ता और सहायक अभियन्ता को भी अधिकांश समय फील्ड में गुजराना होगा, ताकि बिजली समस्याओं और शिकायतों का तुरंत हल निकल सके। उत्तराखण्ड पाॅवर कॅारपोरेशन की समीक्षा करते हुए सचिव ऊर्जा श्रीमती राधिका झा ने इन फैसलों के बारे में जानकारी दी।
गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से बिजली वितरण में लगातार आ रही दिक्कतों के चलते खुद मुख्यमंत्री ने विभागके आला अधिकारियों की क्साल ली थी। राधिका झा ने कहा कि
- विभागीय अधिकारियों की परफोर्मिंग रेटिंग(एसीआर) मुख्यतः विद्युत उपलब्धता, राजस्व वसूली तथा ए.टी. एण्ड सी. हानि जैसे मानकों पर होगी।
- इन मानकों पर आधारित सालाना टारगेट सर्किलवार गठित होंगे।
- प्रबन्धन निदेशक व निदेशक सहित सभी अधिकारियों को रोस्टर बनाकर नियमित रूप से अपने इलाकों का दौरा करने को कहा गया है।
- खराब पड़े फीडरों में तत्काल सुधार लाया जाए, जिससे बेहतर विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
- विद्युतीकरण की जद से बाहर 64 गांवों तक बिजली की आपूर्ति अक्टूबर 2017 तक आवश्यक रूप से पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।
बैठक के दौरान विद्युत आपूर्ति के आधार पर जिलों के रेटिंग में मसूरी, पौडी अव्वल और लक्सर, लण्डौर व गदरपुर फिस्सडी पाये गये है। इसी प्रकार ए.टी. एण्ड सी. हानि सबसे ज्यादा रूडकी(शहरी), विकासनगर और लक्सर से पाई गई। जबकि हरिद्वार(ग्रामीण), देहरादून व कोटद्वार डिविजनों में यह न्यूनतम रही। विभाग के अधिकारियों को किसी भी प्रकार की प्लैनड शटडाउन के बारे में पूर्व सूचना अखबारों के ं जरिये लोगों तक पहुंचाने के निर्देश दिये गये हैं।
सरकार और शासन की ये कोशिश तो सही दिशा में है लेकिन इसका फायदा लोगों को तब ही मिल पायेगा जब अधिकारियो की जवाबदेही तय करने के लिये तंत्र सही तरह से काम करे।