सूतक से पूर्व समय करें जलाभिषेक

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सोमवार को श्रावण मास का पांचवा और अंतिम सामवार है। सोमवार को ही श्रावण मास की समाप्ति है और सोमवार को ही चन्द्र ग्रहण पड़ रहा है। चन्द्र ग्रहण का सूतक ग्रहण काल से नौ घंटे पूर्व आरम्भ हो जाएगा, इस कारण दोपहर एक बजकर 29 मिनट तक ही पूजा-अर्चना की जा सकती है। सूतक काल लगने से पूर्व सभी मंदिर व शिवालय भी आरती के बाद बंद कर दिए जाएंगे, जो मंगलवार की प्रातः ही खुलेंगे। इस कारण जलाभिषेक करने वाले श्रद्धालु एक बजकर 29 मिनट से पूर्व जलाभिषेक कर लें। 

ज्योतिषाचार्य पं. प्रदीप जोशी के अनुसार ग्रहण के सूतक काल में देव पूजन वर्जित है। इस कारण जलाभिषेक सूतक काल से पूर्व करना ही श्रेयस्कर है। सूतक व ग्रहण काल में भगवान का ध्यान और जप करना लाभकारी होता है। वहीं 11 बजकर 04 मिनट के बाद भ्रदा की समाप्ति पर रक्षाबंधन पर्व बनाया जाना चाहिए। सोमवार को श्रावण मास समाप्त होने के साथ ही एक माह से कनखल में निवास करने वाले भगवान शिव भी हिमालय को गुमन कर जायेंगे।

बता दें कि अपने ससुर राजा दक्ष को जीवन दान देने के साथ भगवान शिव ने राजा दक्ष को वरदान दिया था कि इस स्थान पर पूजा मेरी होगी और नाम तेरा होगा। इतना ही नहीं श्रावण मास में मैं कनखल नगरी में आकर निवास करूंगा। इस कारण सोमवार को श्रावण मास की समाप्ति के साथ ही भगवान शिव हिमालय की और गमन कर जायेंगे।