जो देश में 70 सालों में न हो सका और राज्य स्थापना के बाद से नहीं हो सका अब राज्य सरकार ने वो एक हफ्ते में करने की तैयारी कर ली है। जी हां हम बात कर हे हैं किसानों की आय दोगुनी करने के त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के वादे की। इस वादे को पूरा करने के लिये मुख्य सचिव एस.रामास्वामी ने एक हफ्ते में कार्य योजना प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। इसके लिये सरकार ने कहा कि
- फसल का उत्पादन बढ़ाकर,
- खेती को बागवानी से जोड़कर,
- उन्नतिशील बीजों को उपलब्ध कराकर,
- परिवार के एक बेरोजगार सदस्य को कौशल विकास का प्रशिक्षण देकर किसानों की आमदनी कैसे दोगुनी की जा सकती है।
- इसके लिए कृषि के साथ-साथ बागवानी, मत्स्य, रेशम और अन्य विभागों का भी सहयोग लिया जाएगा।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत 176 क्लस्टर बनाए गए हैं। इनमे
- चावल के लिए हरिद्वार, पौड़ी, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ और उधमसिंहनगर,
- गेहूं के लिए देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, टिहरी, अल्मोड़ा, बागेश्वर, उधमसिंहनगर, नैनीताल और पिथौरागढ़ जनपद का चयन किया गया है।
- दालों, मोटे अनाजों और व्यवसायिक फसलों के लिए सभी जिलों में क्लस्टर बनाए गए हैं।
- कृषि की उत्पादकता बढ़ाने और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली अप्रोच अपनाया जाएगा।
- बुआई के पहले किसानों को समय से बीज, खाद्य, माइक्रो न्यूट्रिएंट, जिप्सम, कीटनाशक दवाएं आदि दी जाएंगी।
बहरहाल सरकारी अधिकारियों ने बंद कमरें में मीटिंग कर के धूप में पसीना बहाने वाले किसानों की आमदना दोगुनी करने के रास्तों की तलाश शुरू कर दी है। लेकिन ज़मीनी हकीकत ये भी है कि आज की तारीख में किसान उत्पाद से ज्यादा अपनी फसल के सही दाम न मिलने के कराण परेशान है। और इसका सबसे बड़ा कारण है सरकारी तंत्र की विफलता और बिचौलियो का राज। अगर सही मायने में सरकार किसानों की आय बढ़ाना चाहती है तो उसे तकनीक और उत्पाद बढ़ाने का साथ साथ किसानों को उनकी उपज का सही दाम दिलाने पर ध्यान देना होगा।