योग को वैश्विक गौरव दिलाने के बाद अब पतंजलि योगपीठ ने अब आयुर्वेद को विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित कराने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की। इसी संकल्प के साथ पतंजलि योगपीठ परिसर में ‘विश्व की चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद’ विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ। इस मौके पर उत्तराखंड सरकार के आयुष, वन एवं पर्यावरण मंत्री डाॅ. हरक सिंह रावत और कृषि, उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि सरकार योगपीठ के साथ मिलकर ऑर्गेनिक प्लांटेशन अभियान चलाएगी।
गुरुवार को आयोजित गोष्ठी में आयुर्वेद चिंतन में भारतीय ऋषियों द्वारा अनुसंधित प्राचीन चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के मानकों के अनुरुप प्रामाणिकता दिलाने, विश्व स्तर पर जनमानस तक इसकी पहुंच बनाने के लिए देश-विदेश में आधुनिक चिकित्सा अनुसंधान शालाओं की स्थापना कर आयुर्वेदिक औषधियों की गुणवत्ता को परखनें की प्रणाली विकसित करने, इसकी प्राचीन जटिल एवं विस्तृत उपयोग प्रक्रिया का सरलीकरण करने एवं विविध रोगों में आयुर्वेदिक औषधियों के प्रयोग से प्राप्त होने वाली आरोग्यता का डॉक्यूमेंटेशन करने, स्थानीय स्तर पर उपलब्ध जड़ी-बूटी व आयुर्वेद सम्मत बनौषधियों की गुणवत्ता से वहां की जनता को परिचित कराने के लिए विराट स्तर पर साहित्य तैयार कराने तथा आयुर्वेद सम्मत संपूर्ण प्रामाणिक संदर्भों के आधर पर विश्व स्तर पर जन आंदोलन खड़ा करने जैसे बिन्दुओं पर चर्चा हुई।
उत्तराखण्ड सरकार के आयुष, वन एवं पर्यावरण मंत्री डाॅ. हरक सिंह रावत ने कहा कि योगऋषि बाबा स्वामी रामदेव व आचार्य बालकृष्ण के अथक प्रयास से योग-आयुर्वेद को वैश्विक पहचान मिली हैं। उन्होंने कहा पतंजलि योगपीठ आयुर्वेद पद्धति का मानक गढ़ है। पतंजलि के आयुर्वेद अभियान से प्रेरित होकर ही आज जन-जन में आयुर्वेद चिकित्सा के प्रति जज्बा पैदा हुआ है।
कृषि, उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि पतंजलि योगपीठ ने उत्तराखण्ड को एक नई पहचान दी है। उत्तराखण्ड में जड़ी-बूटियों को लेकर जो भी सम्भावनाएं हैं, सभी दिशा में कार्य करेंगे। उन्होंने कहा सरकार किसानों को जड़ी-बूटियों के प्रति प्रोत्साहन देगी। साथ ही इस दिशा में पतंजलि के मार्गदर्शन में उत्तराखण्ड सरकार और पतंजलि जड़ी-बूटी के आर्गेनिक प्लांटेशन का अभियान भी चलाएगी।
चेयरमैन-सीसीआईएम, दिल्ली विनीता ने बताया कि पतंजलि योगपीठ ने आयुर्वेद में प्राण फूंककर दुबारा से जगाया है, यही कारण है कि अब गंभीर से गंभीर रोगों का समाधन आयुर्वेद के माध्यम से होने लगा है।
आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार ने आयुर्विज्ञान के प्रति सकारात्मकता दिखाई है। आचार्य ने आयुर्वेद को लेकर भ्रम पैदा कर रहे लोगों व कम्पनियों पर रोक लगाने पर जोर दिया। इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण रचित आयुर्वेद सिद्धांत रहस्य पुस्तक का स्वीडिश सहित 24 अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं में विमोचन भी हुआ।
पतंजलि आयुर्वेद महाविद्यालय की ओर आयोजित इस कार्यशाला में देश के कई विश्वविद्यालयों के कुलपति, आयुर्वेद महाविद्यालयों के प्राचार्यगण एवं अन्य आयुर्वेद क्षेत्र के विशिष्टगणों ने सहभागिता की।