पहाड़ी क्षेत्रों में अपनी पहली पहल के लिए सराहना पाने वाले, उत्तरकाशी जिला प्रशासन ने एक मैंस्ट्रयूल साइकिल स्वच्छता प्रबंधन कार्यक्रम शुरू किया है, जिसके तहत स्कूल में पढ़ रही लड़कियों के लिए दो सरकारी इंटर कॉलेजों में चार सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन लगाई गई हैं। यह नैपकिन बाजार में मिलने वाली नैपकिन से सस्ती है और तीन के पैक के लिए केवल 10 रुपये खर्च होंगे। इसके अलावा इस्तेमाल किए हुए नैपकिन का डिस्पोज करने के लिए भी इलेक्ट्रानिक इनसिनेटर भी लगाया गया है।
जिला मजिस्ट्रेट आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि, “कई लड़कियां अपनी पीरियड्स के दौरान कक्षाएं नहीं ले पाती हैं क्योंकि उनके पास सैनिटरी पैड उपलब्ध नहीं हो पाते हैं, जिसकी वजह से मासिक धर्म की स्वच्छता भी नहीं हो पाती । दोनों समस्याओं को हल करने के लिए, दो वेंडिंग मशीन लड़कियों के सरकारी इंटर काॅलेज में लगाई गई है।”
डीएम ने कहा कि, “यह योजना सभी लड़कियों और को-एड वाले उच्च विद्यालयों और जिले के इंटर कालेजों तक विस्तारित की जाएगी और महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को सैनिटरी नैपकिन बनाने के लिए जोड़ा गया है।”
हालांकि पिछले साल, देहरादून नगर निगम की योजना के तहत शहर के भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में सैनिटरी नैपकीन के लिए वेंडिंग मशीन लगाए जाने थे, लेकिन अब तक इसपर कोई काम शुरु नहीं हुआ है। इस योजना में दून के मुख्य स्पाट पर यह मशीन लगनी थी जिसमें गांधी पार्क के पास भी एक वेंडिंग मशीन लगाई जानी थी, यह योजना स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाई गई थी।
दुख की बात यह है कि अब तक राज्य का राजधानी देहरादून में यह योजना धरातल पर नहीं, लेकिन पहाड़ी क्षेत्र उत्तरकाशी में यह अमल में आ गया है।