देहरादून में भी गोरखपुर से अलग हालात नहीं हैं। जल संस्थान में गुरुवार देर रात क्लोरीन गैस के रिसाव हादसे ने राजधानी की स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोल दी।क्लोरीन गैस रिसाव हादसे के बाद दून अस्पताल से मरीजों को ऑक्सीजन नहीं होने के कारण निजी अस्पतालों में रेफर किया गया जिस पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नाराजगी जताई है। इस घटना ने साबित कर दिया कि आपात स्थिति के लिए हम तैयार नहीं हैं। आपात स्थिति में लोगों के लिए निजी अस्पताल ही एकमात्र विकल्प हैं। कुछ बड़े अस्पताल को छोड़ निजी संस्थान में भी सुविधाएं सीमित हैं।
दून अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं होने के कारण मरीजों को भर्ती नहीं किया गया। गुरुवार की देर रात जल संस्थान, देहरादून में क्लोरीन गैस सिलेंडर फटने के बाद 14 लोगों की हालत खराब हो गई थी। रिसाव के बाद प्रभावितों को दून मेडिकल कालेज ले जाया गया, जहां उपचार के नाम पर डाक्टरों के हाथ-पांव फूल गए। प्रभावितों को आक्सीजन न होने की बात कहकर निजी अस्पतालों में रेफर कर दिया गया। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में आक्सीजन की कमी से कई बच्चों की जान जाने की घटना के बाद भी कोई सबक नहीं लिया गया।
गनीमत रही कि राजधानी देहरादून का मामला था और कई बड़े निजी अस्पताल लोगों की पहुंच में थे, वरना उत्तराखंड में भी एक बड़ा हादसा होने के बाद यहां भी बस राजनीति ही होती। यह हाल तब है जब दून अस्पताल प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में शुमार है। इसे मेडिकल कालेज बनाकर सरकार खुद की पीठ थपथपाती रही है। हादसे के 12 घंटे बाद सरकार और मशीनरी की नींद टूटी और अस्पताल व जल संस्थान की ओर अधिकारी दौड़े। फिलहाल अधिकारियों को नोटिस जारी कर अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री कर दी गई।
शुक्रवार सुबह गढ़वाल आयुक्त दिलीप जावलकर और डीआईजी पुष्पक ज्योति देहरादून के जल संस्थान पहुंचे और गैस सिलेंडर विस्फोट वाले स्थान का निरीक्षण किया और अधिकारियों से घटना की जानकारी ली। सिलेंडरों के रख रखाव और घटना के कारण की रिपोर्ट तैयार कर शासन को देने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी, देहरादून एसए मुरुगेशन ने बताया कि गैस रिसाव से 14 लोग प्रभावित हुए थे। मैक्स, सीएमआई और महन्त इंद्रेश अस्पताल में इन सभी का इलाज चल रहा है। सिटी पेट्रोल यूनिट (सीपीयू) के चार पुलिस कर्मी भी प्रभावित हुए हैं। सभी डिस्चार्ज हो गए हैं। कुछ बच्चे भी प्रभावित हुए हैं जिन्हें डिस्चार्ज करने की बात है। कुछ लोगों को मामूली समस्या थी, जिन्हें प्राथमिक उपचार के बाद रात में ही छुट्टी दे दी गई थी।
हादसे के बाद पीड़ितों को भर्ती नहीं किए जाने के मामले में शुक्रवार को दून मेडिकल कालेज प्रशासन ने इमरजेंसी में तैनात डाक्टर, फार्मासिस्ट व अन्य स्टाफ से स्पष्टीकरण मांगा है। जल संस्थान में गैस रिसाव के बाद अस्पताल पहुंचे मरीजों को रेफर किए जाने पर उठे सवालों के बाद कार्रवाई की गयी। चिकित्सा अधीक्षक का कहना है कि अस्पताल में आक्सीजन की कोई कमी नहीं है। डेंगू वार्ड में ही 10 बेड खाली थे। डाक्टर व स्टाफ के स्तर पर भी लापरवाही बरती गई। क्लोरीन गैस रिसाव हादसे के बाद दून अस्पताल से मरीजों को रेफर किए जाने के मामले में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नाराजगी जताई है। सीएम के निर्देश पर उनके स्वास्थ्य सलाहकार डा. नवीन बलूनी दून अस्पताल पहुंचे और संसाधनों का जायजा लिया। उन्होंने स्वास्थ्य निदेशक, चिकित्सा शिक्षा निदेशक समेत सभी अधिकारियों को तलब करके अधिकारियों को इमरजेंसी व्यवस्था तत्काल सुधारने के निर्देश दिए ताकि किसी भी मरीज को बिना उपचार लौटाने की स्थिति न आए। उन्होंने कहा कि अन्य अव्यवस्थाओं में भी सुधार के काम की समीक्षा की जाएगी और अव्यवस्था को लेकर सख्त कार्रवाई भी की जाएगी।
गैस रिसाव के बाद सामने आई लापरवाही के बाद विभाग की नींद टूटी है। अब दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय में 20 बेड की डिजास्टर इमरजेंसी बनाई जाएगी। स्वास्थ्य सलाहकार डा. नवीन बलूनी ने अधिकारियों को तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए। विभाग के अनुसार इन सभी बेड पर आक्सीजन की सप्लाई होगी। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिये समिति बनेगी जिसमें डाक्टर, फार्मासिस्ट व नर्स समेत अन्य स्टाफ रहेगा। अस्पताल की अन्य समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए भी बिंदुवार रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।