अल्पसंख्यक कल्याण आयोग ने साल 2012-13 के बाद से अब तक बांटी गई छात्रवृत्ति की जांच के आदेश दिए हैं। मामले में आयोग के अध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा ने सभी जिलाधिकारियों को जांच कर रिपोर्ट भेजने को कहा है।
साल 2015 के बाद से छात्रवृत्ति आॅनलाइन माध्यम से वितरित होने लगी है। इससे पहले छात्रवृत्ति ऑफलाइन माध्यम से वितरित की जाती थी जिसके लिए स्कूलों की ओर से छात्रों की संख्या डिमांड अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को भेजी जाती थी। इसके बाद विभाग उसी के अनुरूप छात्रवृत्ति स्कूलों को आवंटित करने का कार्य करता था। इस अवधि में प्रतिवर्ष पहली से दसवीं कक्षा तक के करीब ढाई लाख बच्चों को छात्रवृत्ति बांटी जाती रही। साल 2015 के बाद छात्रवृत्ति की प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दी गई जिसके चलते अब आवेदनों की संख्या घटकर मात्र 26 हजार पर आ गई है।
घटी संख्या का लिया संज्ञान
स्कलों में आॅनलाइन माध्यम से छात्रवृत्ति देने की प्रक्रिया के बाद छात्रों की संख्या घट गई जिसके बाद अल्पसंख्यक कल्याण आयोग ने मामले का संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। आयोग को पूर्व में प्रदान की गई छात्रवृत्तियों में बड़े घोटाले की आशंका को देखते हुए यह निर्णय लिया गया। जांच का दूसरा पहलू कम छात्र संख्या के पीछे का कारण भी पता करना है। फिलहाल आयोग ने जिलाधिकारी व मुख्य शिक्षा अधिकारी के माध्यम से जांच कराए जाने का फैसला किया है।
अल्पसंख्यक छात्रों को 10वीं तक की शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने को केंद्र और राज्य सरकार की ओर से उन्हें छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। केंद्र सरकार की ओर से इन छात्रों को ‘अल्पसंख्यक भारत सरकार छात्रवृत्ति योजना’ तो राज्य सरकार की ओर से ‘अल्पसंख्यक राज्य सरकार छात्रवृत्ति योजना’ के तहत छात्रवृत्ति दी जाती है। दोनों छात्रवृत्तियों के लिए अब आॅनलाइन माध्यम से आवेदन करना होता है।
आॅनलाइन प्रणाली लागू होने के बाद अचानक आवेदकों में आई कमी को लेकर बाल अधिकार संरक्षण आयोग भी बेहद गंभीर हैं। मामले में बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को नोटिस जारी किया गया है। आयोग ने कहा कि छात्रवृत्ति की आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन होते ही छात्रों की संख्या ढाई लाख से घटकर 26 हजार कैसे रह गई। आयोग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।