सत्ता की हनक के सामने बौनी हुई खाकी-वर्दी

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अबतक कांग्रेस राज में ही देखा जाता था की सत्ता की हनक दिखाकर आरोपियों और मुजरिमों को छुड़ा लिया जाता था। मगर अब इसी परिपाठी में सत्ता पर काबिज भाजपा भी उतार आई है और पुलिस के हाथों से बदमाशों को छुड़ाने में भाजपा भी पीछे नहीं रही। भ्रस्टाचार और भय मुक्त शासन देने के भले ही बड़े नेताओं के दावे हों मगर उनके निचले नेता और कार्यकर्ता पार्टी की छवि को धूमिल करने में पीछे नहीं हैं।

जी हाँ, मामला रुद्रपुर का है जंहा देखकर लगता है की कोतवाली को पुलिस नहीं भाजपाइ नेता चला रहे हैं। जिस युवक को पकड़ने के लिए दिनभर पुलिस उसे तलाशती रही और बदमाश कहते नहीं थकी, शाम होते ही उसे रिहा कर दिया गया। उसके खिलाफ गुंडा एक्ट की कार्रवाई से लेकर, पुलिस पर पथराव करने और अवैध तमंचा रखने तक का आरोप था। मगर अचानक किसका दबाव हुआ की उसे छोड़ना पड़ा।

आधा दर्जन से अधिक मामलों में वांछिद जिस युवक को पकड़ने के लिए पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी, उसे सत्ता की हनक दिखाकर कुछ ही घंटों में नेताजी छुड़ा का ले गए। रम्पुरा चौकी पुलिस पर पथराव के साथ ही अन्य वारदातों में नामजद क्षेत्र में आतंक फैलाने वाले युवक के घर पर पुलिस ने दबिश दी तो वह कूद कर भाग गया था। उसके बाद पुलिस ने उसके घर से तमंचा भी बरामद किया था।

रविवार को वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया। उसकी पैरवी में रम्पुरा के भाजपा नेता कोतवाली पहुंच गए। उनकी पैरवी पर पुलिस ने युवक की करतूतों को छुड़ाने  नेताओं के सामने बयां कर किसी भी सूरत में उसको छोड़ने से इन्कार कर दिया, लेकिन देर शाम पुलिस ने उसको छोड़ भी दिया, जिसके चलते भाजपा के साथ ही पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठने लगे है। जबकि सी ऒ स्वतंत्र कुमार ने बताया कि, “युवक को पकड़ा जरूर गया था, लेकिन मारपीट के मामले में उसने जमानत करवा ली। उसके खिलाफ गुंडा एक्ट की कार्रवाई की गई है। नोटिस उसको रिसीव करा दिया गया है। युवक को किसी भी सूरत में बक्शा नहीं जाएगा, उसके खिलाफ नियमानुसार तड़ीपार की भी कार्रवाई की आवश्यकता पड़ी, तो पुलिस उससे भी पीछे नहीं हटेगी।”

लेकिन प्रश्न ये उठता है की जब पकड़ा गया युवक इतनी संगीन धाराओं में वांछिद है और उसके विरुद्ध कार्यवाही की बात भी की जा रही है तो इतनी मुश्किलों से पकडे गए आरोपी को आखिर क्यों छोड़ दिया गया। और किसके दबाव में आकर पुलिस को आखिर उस युवक को छोड़ना पड़ा? इसका जवाब पुलिस के पास तो नहीं है मगर इतना तो सभी को दिख रहा है की सत्ता की हनक के सामने खाकी कितनी बोनी हो गयी है।