महिला अभ्यर्थी अब आठ साल में शोध कार्य कर सकती है पूरा

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गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार, में शोधरत महिला अभ्यर्थियों के लिए अच्छी खबर है कि अब महिलाएं पांच साल के अतिरिक्त अधिकतम आठ साल में शोध कार्य पूरा कर सकती हैं। विश्वविद्यालय ने महिला सशक्तिकरण अभियान के अन्तर्गत अन्य सभी विश्वविद्यालयों से पहले यह कदम उठाया है। पीएचडी में समयावधि बढ़ने के साथ ही महिलाएं शोध कार्य के क्षेत्र में बहुमुखी विकास भी कर सकती है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के शोध नियमावली 2016 को विश्वविद्यालय में पूरी तरह से लागू कर दिया गया है। इस नियमावली में महिलाओं को बहुत सारी प्राथमिकताएं दी गयी हैं, जिनका सही रूप में महिलाएं लाभ उठा सकती हैं। बता दें कि विज्ञान के क्षेत्र में शोध कार्य करने में बहुत अधिक समय लगता है और पांच साल की अवधि कैसे गुजर जाते हैं इस बात का पता ही नहीं चलता है। विज्ञान क्षेत्र में पीएचडी करने में डाटा संकलन और नये-नये सांख्यिकीय वियलेषणों से शोधार्थी का गुजरना पड़ता है।

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुरेन्द्र कुमार ने कहा कि, “महिला शोधार्थिनी के लिए यह बात खुशी की है। मोदी सरकार का महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र यह नया प्रयोग है। महिला सशक्तिकरण को विश्वविद्यालय में पूरी तरह से लागू कर दिया गया है। वैसे तो विश्वविद्यालय में महिला सशक्तिकरण सैल बनाया हुआ है। इस सैल के द्वारा महिलाओं के उत्थान के लिए काम किया जाता है।”

कुलसचिव प्रो. विनोद कुमार ने कहा कि, “भारत का राजपत्र असाधारण खण्ड-04, प्राधिकार से प्रकाशित, मानव संसाधन विकास मंत्रालय (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) नई दिल्ली द्वारा शोध नियमावली 2016 के आलोक में अधिसूचना जारी की गयी। उन्होंने कहा कि महिलाओं तथा निशक्त व्यक्तियों (जिनकी निशक्तता 40 प्रतिशत से अधिक हो) उन्हें पीएचडी के लिए अधिकतम दो वर्ष की छूट प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त महिला अभ्यर्थियों को पीएचडी की समयावधि में एक बार 240 दिनों तक का मातृत्व अवकाश, शिशु देखभाल अवकाश प्रदान दिया जा सकता है।” 

महिला सशक्तिकरण अभियान की संयोजिका प्रो0 नमिता जोशी ने कहा कि, “विश्वविद्यालय में महिला शोधार्थियों के लिए शोध में समयावधि बढ़ने से शोधार्थिनियों को निश्चित ही लाभ मिलेगा। विज्ञान विषय में बहुत से विषय वर्णनात्मक होते इस कारण विज्ञान विषय से जुड़े हुए शोधार्थिनियों की समय सम्बन्धी समस्या निश्चित ही खत्म हो जायेगी।”

वहीं रसायन विज्ञान में शोधरत अलका हरित एवं मोनिका चौधरी ने कहा कि विश्वविद्यालय में शोध नियमावली 2016 के लागू होने से महिला शोधार्थियों को लाभ मिलेगा।