मौत का फ्लाईओवर बनता जा रहा, बल्लीवाला फ्लाईओवर

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एक साल सात मौत, ये सच है बल्लीवाला फ्लाईओवर का। आए दिन फ्लाईओवर पर हो रहे हादसों को देखते हुए एक बार फिर फ्लाईओवर के निर्माण और सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

दरअसल, बल्लीवाला फ्लाईओवर के निर्माण से पहले डिजाइन और चौड़ाई को लेकर सवाल उठते रहे हैं। इसके अलावा फ्लाईओवर बनने के बाद से ही हादसे शुरू होने लगे जिसके बाद दून पुलिस ने सुरक्षा को लेकर कई बार प्रस्ताव भेजा गया। लेकिन एक साल गुजरने के बाद भी अब तक कोई योजना शुरु नहीं हो पाई। अब एक बार फिर दून पुलिस फ्लाईओवर के दोनों और से टी जाल बिछाने की बात कर रहा है।
डिजाइन और चौड़ाई पहले से ही विवादों में
24 जुलाई 2016 से बल्लीवाला लाईओवर पर ट्रैफिक दौड़ने लगा था। जो कि 2013 से निर्माण कार्य चालू हो गया था। तब दावा किया गया था कि फ्लाईओवर सिर्फ 25 करोड़ की लागत से बना है, लेकिन फ्लाईओवर की डिजाइन और इसकी चौड़ाई को लेकर शुरू से सवाल उठ रहे थे।
दरअसल, जीएमएस रोड दोनों ओर से काफी चौड़ी है, जबकि फ्लाईओवर की चौड़ाई इसके हिसाब से काफी कम है। ऐसे में जब वाहन फ्लाईओवर में प्रवेश करते हैं, तो उनके आपस में टकराने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा ओवरटेक करने की स्थिति में पैराफिट से टकराने की प्रबल संभावना रहती है। अब तक जो भी हादसे बल्लीवाला फ्लाईओवर पर हुए हैं, उनमें गाड़ियों के टकराने से ही हादसे हुए हैं। इसमें कई बार लाईओवर से नीचे गिरने की घटना भी हुई।
सोमवार देर रात हुए हादसे में भी स्कूटी सवार की मौत टकराकर लाईओवर से नीचे गिरने से हुई। एसपी ट्रैफिक धीरेन्द्र गुंज्याल का कहना है कि उन्होंने शुरुआत में ही फ्लाईओवर के दोनों तरफ से टी जाल बिछाने के अलावा फ्लाईओवर पर प्लास्टिक के डिवाइडर लगाने की भी बात की थी। जिससे गाड़ी चलाने वाले अपनी साइड में ही गाड़ी चलाएं। एक बार फिर दून पुलिस ने प्रस्ताव तैयार कर लाईओवर के दोनों और से टी जाल बिछाने का प्रस्ताव बनाने की बात कही है।
वहीं, एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि फ्लाईओवर में हो रहे हादसों को देखते हुए पुलिस से टी जाल लगाने का प्रस्ताव बनाएगा। लेकिन सवाल ये है कि एक साल गुजरने के बाद भी अब तक क्यों सरकार और प्रशासन ने मौत का फ्लाईओवर बन रहे बल्लीवाला फ्लाईओवर के लिए सुरक्षा की दृष्टि से जाल बिछाने और अन्य सुविधाएं देने को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया।