खुल गई पोल, मंदिर प्रबन्धक जाएंगे जेल?

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    जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति गठन की उठापठक जारी है। इस बार दून से आई जांच ने कईयों के पसीने छुड़ा दिए हैं। लोगों की शिकायत पर हुई जांच के बाद देहरादून से भेजी गई खुफिया टीम के अधिकारियों ने वर्तमान प्रबंधक प्रकाश भट्ट से ज्वाइंट इंट्रोगेशन किया।  इस पूछताछ में प्रकाश भट्ट की पुरानी कुंडली भी खंगाली गई। जांच जिला मुख्यालय पहुंचते ही प्रबंधक के नेता और पुजारी दावेदारों में हड़कंप मचा हुआ है। शुरुआती जांच के बाद प्रकाश भट्ट के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 478 और 471 के तहत केस दर्ज होने तय माना जा रहा है। इस आपराधिक मुकदमे के तहत गिरफ्तारी के साथ रिकवरी के भी पूरे आसार हैं।

    हाईकोर्ट के आदेशानुसार जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति में प्रबंधक पद के लिए कोई पुजारी या राजनैतिक दल से संबंद्ध लोग आवेदन नहीं कर सकते हैं, इस बार इसका उल्टा हुआ है। इस बार प्रबंधक पद पर एक पुजारी समेत पांच भाजपाई और दो कांग्रेसी नेताओं ने आवेदन कर डाले। तत्कालीन डीएम सविन बंसल के आदेश पर एलआईयू जांच से इस बात की पुष्टि होने पर उक्त सभी के आवेदन निरस्त कर दिए गए थे। डीएम के तबादले के तत्काल बाद उक्त सभी नेताओं और पुजारियों ने दोबारा आवेदन कर दिए थे।

    सूत्रों के मुताबिक एक मंत्री और एक स्थानीय नेता से प्रेशर डलवाकर सभी नेताओं ने अपने आवेदन देहरादून फारवर्ड करवा लिए थे। किसी ने इसकी शिकायत राज्यपाल से कर दी थी। शिकायतकर्ता ने वर्तमान प्रबंधक प्रकाश भट्ट पर भी कोर्ट को गुमराह कर पद हासिल करने के आरोप लगाए थे। सूत्रों के मुताबिक इसको गंभीरता से लेते हुए राज्यपाल ने डीएम अल्मोड़ा को प्रकाश भट्ट मामले की जांच के आदेश जारी कर दिए। सूत्रों के मुताबिक प्रकाश भट्ट देहरादून से पहुंची सपेशल खुफिया टीम ने अलग-अलग स्थानों पर चार घंटे से अधिक पूछताछ की। इस पूछताछ में प्रकाश भट्ट हड़बड़ा गए थे। उन्होंने जांच अधिकारियों के सामने पूरा सच उगल दिया।

    सूत्रों के मुताबिक खुफिया टीमें अब भी प्रकाश भट्ट की कुंडली खंगालने में जुटी हुईं हैं। ऐसे हालात में उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज होना भी तय माना जा रहा है। प्रशासन के इस कदम से वर्तमान में प्रबंधक और उपाध्यक्ष पद पर आवेदन करने वाले नेताओं और पुजारियों में हड़कंप मचा हुआ है। कल तक जो नेता अपनी गोट फिट करने में जुटे हुए थे अब वह इस पद से दूर होने की कोशिशों में भी जुटे हुए हैं। इसके पीछे वजह यह बताई जा रही है कि सभी अयोग्य दावेदारों ने आवेदन के साथ ही झूठे शपथ पत्र भी भरे हैं। स्थाननीय लोगों के पास इससे सम्बंधित तमाम फ़ोटो और अखबारों की कतरन मौजूद हैं।  इसके अलावा तत्कालीन जिलाधिकारी भी उनके आवेदन पत्रों को मार्क कर गए हैं। इस सम्बंध में लोगों ने उन आवेदन पत्रों की प्रतिलिपि हासिल करने को आरटीआई भी डाल दी है।
    पांच लाख दो तो अभी हो जाएगा काम।

    सूत्रों के मुताबिक विज्ञप्ति जारी होते ही जागेश्वर विधान सभा और  प्रॉपर जागेश्वर के कुछ नेता भी कमेटी गठन की आड़ में अपना उल्लू साधने की कोशिशों में जुट गए थे। कुछ नेता तो आवेदकों को ऊंची पकड़ का हवाला देते हुए  पद पर ताजपोशी के एवज में पांच लाख घूस की भी डिमांड करने लगे थे। ऐसे नेता खुद को आला कमान का खास बता रहे थे। ऊपर से जांच आते ही अब ये कथाकथित नेता भी प्रवंधन समिति से खुद को दूर करने लगे हैं।सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसियां भी इन नेताओं की कुंडली का अध्ययन करने में जुट गईं हैं। जांच की आंच आंच में ये नेता भी झुलस सकते हैं।