महाराष्ट्र के ट्रैकर की मौत

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उत्तरकाशी जिले में क्यार कोटी- सांकरी ट्रैक पर पुणे महाराष्ट्र से आये एक ट्रैकर की मौत हो गई। जिसके रेस्क्यू के लिए सेना, एसडीआरएफ और आपदा प्रबंधन की टीम रवाना हो गई है।

चार सितंबर को पुणे के छह लोगों का ट्रैकर दल उत्तरकाशी पहुंचा। इसके बाद पांच सितंबर को पुणे के छह सदस्यीय दल ने स्थानीय स्तर पर चार पोर्टर और एक गाइड को अपने साथ लेकर झाला से कंडी-क्यार कोटी ट्रैक पर ट्रैकिंग करने निकल पड़े। इस बीच पुणे के एक ट्रैकर की रास्ते में मौत हो गई। इनमें से दो लोग जब बुधवार देर शाम को हर्षिल स्थित सेना की कंपनी के पास पहुंचे तो मामले का पता चल पाया। मृतक के साथ बाकी के ट्रैकर भी वहां रुके हुए हैं। जिस जगह पर वह रुके हुए हैं वह गंगोत्री हाईवे स्थित झाला से करीब 28 किमी दूर 15500 फीट की ऊंचाई पर है। जिसके कारण वहां फिलहाल हेलीकॉप्टर भी नहीं उतर पा रहा है। जिस ट्रैक पर ट्रैकर गये हैं वह इनर लाइन के अंदर बताया जा रहा है। लेकिन इसको लेकर ट्रैकर दल ने न ही जिला प्रशासन से और न ही वन विभाग से अनुमति ली है। जिसके कारण पुणे के ट्रैकर दल के सदस्यों का नाम पता भी प्रशासन के पास उपलब्ध नहीं है। लदाड़ी क्षेत्र में ट्रैकिंग का काम करने वाले बृजमोहन ने बताया कि यह ग्रुप टाटा का है। इसमें छह लोग पुणे महाराष्ट्र के हैं। नाम पते उन्हें किसी के मालूम नहीं है। उनके साथ एक गाइड सहित चार पोर्टर शामिल हैं। ट्रैकर को झाला से ट्रैकिंग करते हुए मोरी ब्लॉक के सांकरी निकना था। यह ट्रैक करीब 10 दिनों का है। गाइड और पोर्टर से उनका संपर्क नहीं हो पा रहा है। डीएफओ संदीप कुमार का कहना है कि जिस एरिया में ट्रैकर गये हैं वह इनर लाइन के अन्तर्गत आता है जिसको लेकर दल ने वन विभाग से कोई अनुमति नहीं ली है इसलिए उनके नाम पते भी दर्ज नहीं हैं। बगैर अनुमति के इनर लाइन में प्रवेश करने पर भारती वन अधिनियम के तहत कार्रवाई की जायेगी। जबकि डीएम उत्तरकाशी डा आशीष कुमार का कहना है कि ट्रैकर की मौत किन कारणों से इस बारे में बाकी सदस्यों के नीचे आने पर ही पता चलेगा। हमारी पहली प्राथमिकता ट्रैकर को नीचे लाने की है। अगर ट्रैकर 12 हजार फीट के आस पास पहुंचते हैं तो सेना का चॉपर उन्हें आसानी से नीचे ले आयेगा। क्योंकि इससे ऊपर चॉपर के उतरने की व्यवस्था नहीं है। एसडीआरएफ, आपदा प्रबंधन और सेना के जवान ट्रैकर को रेस्क्यू करने गई है।