बजट का संकट, अधर में लटका ‘अमृत प्रोजेक्ट’

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देहरादून। केंद्र सरकार भले ही अमृत प्रोजेक्ट को लेकर गंभीरता दिखा रही हो, लेकिन स्थिति यह है कि तीन साल पहले शुरू हुए इस प्रोजेक्ट के लिए अब तक सरकार ने एक तिहाई बजट भी नहीं भेजा है। इसका परिणाम ये है कि 90 में से 87 योजनाओं का काम अब तक पूरा नहीं हो सका है।

वर्ष 2015 में शुरू हुए अमृत प्रोजेक्ट के लिए 144.83 करोड़ रुपये में 30 पेयजल, सीवेज, ड्रेनेज योजनाएं स्वीकृत की गई लेकिन इसमें से सिर्फ बीस फीसद बजट ही जारी किया गया। इसके बाद वर्ष 2016 में 192.58 करोड़ रुपये में 31 योजनाएं स्वीकृत हुई। इसमें मात्र देहरादून के लिए बीस फीसद बजट जारी किया गया। बाकी छह शहरों के लिए सरकार ने कोई पैसा नहीं दिया। इतना ही नहीं इस साल 230.49 करोड़ रुपये में 29 योजनाएं स्वीकृत हुई लेकिन इस साल अब तक पेयजल निगम को बजट के नाम पर एक रुपया तक नहीं मिला है। इतना ही नहीं, पेयजल निगम की भी अमृत के प्रति कार्यप्रणाली सुस्त है। इसी का नतीजा है कि तीन साल के भीतर पेयजल निगम मात्र तीन योजनाओं के ही निर्माण कार्य पूरा कर पाया है, बाकी के कार्य अधूरे पड़े हुए हैं। चूंकि, ये प्रोजेक्ट पांच साल का है और इस रफ्तार से तो समय से प्रदेश में अमृत प्रोजेक्ट पूरा होने की उम्मीद नहीं है।
सूत्रों की मानें तो इस साल के लिए बजट की एक किश्त शहरी विकास विभाग के पास पहुंची हुई है लेकिन अब तक यह पैसा पेयजल निगम को नहीं मिल पाया है। यदि शहरी विकास विभाग समय से इस पैसे को निगम को सौंप दे तो योजनाओं के निर्माण कार्य में तेजी आए। वहीं पेयजल निगम प्रबंध निदेशक भजन सिंह ने कहा कि बजट के अभाव में योजनाओं के निर्माण में कुछ देरी हो रही है। इस संबंध में बात चल रही है कि जल्दी बजट मंगाया जाए, जिससे कि योजनाओं का निर्माण समय से पूरा हो सके।