पर्यटन विभाग की अनदेखी के कारण पर्यटकों से दूर ब्रह्मीताल

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उत्तरकाशी में ब्रह्मीताल साहसिक पर्यटक स्थल प्रचार प्रसार और पर्यटन विभाग की अनदेखी के कारण पिछड़ता जा रहा है, यही कारण है कि यहां साहसिक पर्यटन की संभावनाएं होने के बावजूद यहां पर्यटक नहीं पहुंचते हैं।

उत्तरकाशी जिले में भटवाड़ी तहसील के पुराली गांव से 10 किमी और सुक्की व जसपुर गांवों से 9 किमी की पैदल दूरी पर स्थित ब्रह्मीताल बुग्यालों, वन्य जीवों और ब्रह्मकमल जैसे पुष्पों से भरपूर है। 4500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस प्राकृतिक ताल के पास ही एक ग्लेशियर भी है, जिससे इसका सौंदर्य अत्याधिक बढ़ जाता है।

वहीं, लोक कथाओं के अनुसार तिब्बत के बरमी नाग देवता की जान बचाकर स्थानीय सिधवा देवता द्वारा ताल तक पहुंचाया गया था। दूसरी कथा के अनुसार असुरों को रोकने के लिए ब्रह्मा जी ने भी यहां पर तप किया था। जबकि, केदार खंड के अनुसार इस ताल में पितृ तर्पण किया जाए तो काशी और गया के बराबर का पुण्य प्राप्त होता है।

तिब्बती समुदाय व स्थानीय ग्रामीणों के लिए इस स्थान का बहुत महत्व है। यहां के पौराणिक मंदिर में कई सदी पुराना चांदी का नाग, कांसे की थाली, घंटी व शंख आज भी मौजूद हैं। पर्यटन विकास के लिए सन् 2009 में यहां के ट्रैक को बनाया गया था, लेकिन 2012-13 की आपदा के बाद पूरा मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया, जिसके बाद यहां पर कभी कोई विकास कार्य नहीं किया गया।

जिला पर्यटन विकास अधिकारी बीपी टम्टा का कहना है कि,” पर्यटन विभाग द्वारा अनछुए पर्यटन स्थलों के विकास के लिए भी योजनाएं तैयार की जा रही हैं लेकिन वन क्षेत्र में आने की वजह से कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिला प्रशासन के साथ मिलकर इन समस्याओं को दूर करने व विकास कार्यों को पूरा करने के प्रयास जारी हैं।”