देहरादून। शिक्षा विभाग में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने और बजट को बनाए रखने के लिए विभाग ऐसे स्कूलों को चिन्हित कर शिफ्ट करने की कवायद मेें जुटा है, जहां छात्र संख्या बहुत कम है। गौरतलब हो कि शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने प्राइमरी और सेकेंडरी स्कूलों की लिस्ट फाइनल कर शिफ्ट करने के प्रक्रिया को भी हरी झंडी दे दी थी। इसके बाद अब ऐसे इंटर कॉलेजों को लेकर विभाग स्तर पर समीक्षा शुरू हो गई है। जिसमें छात्र संख्या कम हो।
सुधरेंगे बजट और हालात:
सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए स्कूलों के विलय की प्रक्रिया को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है। दरअसल शिक्षा मंत्री ने शिक्षा विभाग के बजट को सही जगह खर्च करने और स्कूलों के हालातों को सुधारने के लिए ऐसे स्कूलों के विलय की मंजूरी दी थी जहां छात्र संख्या 10 से कम हो। शिक्षा मंत्री का दावा है कि स्कूलों विलय से स्कूलों के हालात सुधरेंगे। एक ही जगह पढ़ाने से जहां बजट सही जगह खर्च होगा तो वहीं टीचर्स की संख्या भी स्कूलों में बढ़ेगी। जिससे स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधरेगा। शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार प्राथमिक और जूनियर स्कूलों को विलय करने की प्रकिया शुरु कर दी गई है। जिसके लिए स्कूलों की लिस्ट तैयार कर दी गई है।
आरटीई के मानकों को नहीं कर सकते नजरअंदाज:
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के निर्देश के बाद ऐसे प्राथमिक और जूनियर स्कूलों के विलय के लिए चिन्हिकरण का काम किया गया जिनमें छात्र संख्या 10 से कम है। जिसमें प्रदेश के 452 प्राथमिक स्कूल, 148 जूनियर स्कूलों का विलय होगा। अब इंटर कॉलेज की समीक्षा भी की जाएगी। जिसमें 50 से कम छात्र संख्या है। शिक्षा विभाग के लिए स्कूलों के विलय में सबसे बड़ी समस्या आरटीई के मानकों के अनुरूप विलय करने की चुनौती है। जिसमें एक किमी के दायरे में आने वाले स्कूलों को ही शामिल किया जाना है। ऐसे में जो प्राथमिक और जूनियर स्कूल एक किमी के दायरे में आ रहे हैं और जहां छात्र संख्या 10 से कम हैं वही स्कूल शिफ्ट होंगे।