मशरुम उत्पादन को स्वरोजगार के रूप में अपनाया: विजय वीर सिंह बुटोला

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    यह कहानी ऐसे व्यक्ति की है जिसने अपने पहाड़ प्रेम और यहा से हो रहे पलायन को रोकने के लिये दिल्ली में नौकरी छोड़, उत्तराखण्ड में समेकित खेती और मशरुम उत्पादन को स्वरोजगार के रूप में अपनाया |

    विजय वीर सिंह बुटोला, मूल रुप से टिहरी गढ़वाल के ग्राम अमोली, कीर्तिनगर के रहने वाले हैं | विजय वीर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही ली और फिर स्नातक तक की शिक्षा दिल्ली में प्राप्त की | मशरुम उत्पादन को स्वरोजगार के रूप में अपनाने से पूर्व विजय वीर ने 10 साल गुडगाँव की एक फार्मा कंपनी में बतौर एकाउंट्स ऑफिसर और फिर दिल्ली में 4 साल पावर जनरेशन के क्षेत्र में एडमिनिस्ट्रेशन और ऑपरेशन मेनेजर के तौर पर काम किया |

    डेढ़ वर्ष पहले, दिल्ली से अपनी नौकरी छोड़ विजय वीर देहरादून के मोथरावाला में अपने दोस्त विपिन पंवार के साथ मिल कर मशरुम उत्पादन के काम में लग गए |इसी दौरान विजय वीर ने उद्यान एवं खाध प्रसंस्करण विभाग, देहरादून, उत्तराखंड सरकार से मशरुम की खेती का भी प्रशिक्षण ली|

    मशरुम उत्पादन की सफल पहल के बाद विजय वीर को ओएस्टर मशरुम का एक बड़ा बाजार न होने के कारण और मंडी समितियों की मोनोपोली के चलते, मशरुम बेचने के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा |मंडियों में अपने उत्पाद की बिक्री के कड़वे अनुभवों के बाद, विजय ने अपने उत्पाद को ऑनलाइन और रोड शो के माध्यम से बेचा | देहरादून में सबसे पहले पहाङीशौप.कॉम (pahadishop.com) के माध्यम से मशरुम की ऑनलाइन बुकिंग कर घर-घर पहुंचाया।

    विजय वीर और उनकी टीम ‘गढ़ माटी संगठन’ संस्था से जुड़े हुए हैं तथा संस्था के ग्रामीण स्वरोजगार मिशन के तहत आज उत्तराखंड के कई जिलों में मिल कर ओएस्टर मशरुम उत्पादन,जड़ी बूटी, हॉर्टीकल्चर,मसाले आदि की खेती कर रहे हैं।

    butola

    विजय वीर बताते हैं कि, “ओएस्टर मशरुम का उत्पादन बहुत ही आसन है और बहुत ही कम समय और कम पूंजी में इसकी शुरुवात की जा सकती है | ओएस्टर मशरुम के उत्पादन के लिए 18 से 28℃ का तापमान, ताजी हवा और 80 से 85% नमी की आवश्यकता होती है।”मैदानी क्षेत्रों की अपेक्षा इस प्रजाति के उत्पादन के लिए पहाड़ी क्षेत्र सबसे अनुकूल जगह हैं। आज विजय वीर अपनी टीम के साथ मिलकर दिल्ली, देहरादून, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों में लगभग 800 से अधिक लोगो को मशरुम का प्रशिक्षण दे चुकी है।उन्होंने बताया कि उनका अगला लक्ष्य अपने गांव अमोली में हर्बल और जड़ी बूटी की खेती और जैविक खाद तैयार करना है।

    यही नहीं अगर अाप घर बैठे ही मशरुम मंगवाना चाहते है तो आप 9717839966 पर संपर्क कर सकते हैं| विजय वीर सिंह बुटोला की यह पहल व सोच को हम सलाम करते हैं|