आपदा के 55 दिन बाद खुला पैदल मार्ग

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पिथौरागढ़। 13 अगस्त की रात्रि को धारचूला तहसील में बादल फटने से ध्वस्त नजंग मालपा मार्ग 55 दिन बाद पैदल चलने योग्य हुआ। मार्ग बनने से उच्च हिमालय का मध्य हिमालय से संपर्क बहाल हुआ है।

13 अगस्त की देर रात बादल फटने से कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग नजंग से मालपा तक ध्वस्त हो गया था। कठोर चट्टानों में बने मार्ग के ध्वस्त होने से उच्च और मध्य हिमालय का संपर्क कट गया था। कैलाश यात्रियों को भी धारचूला से गुन्जी हेलीकॉप्टर से लाया ले जाया गया था। तभी से विभाग के लिए मार्ग निर्माण चुनौती बना था। सैकड़ो मजदूर मार्ग के पुर्निर्माण के कार्य में लगाए गए थे। वहीं 55 दिन बाद मालपा से नजंग तीन किमी पैदल मार्ग चलने योग्य बन पाया है।
अलबत्ता अभी कुछ स्थानों पर जानवरों के चलने में दिक्कत है। उच्च हिमालय में सारा सामान जानवरों झुप्पू, घोड़े, खच्चर और भेड़ बकरियों से ढोया जाता है। उधर, शीतकालीन प्रवास के लिए बूंदी, गर्ब्यांग, गूंजी, नाबी, नपलचू, रोंगकोंग और कुटी गावो, के ग्रामीण 15 अक्टूबर से माइग्रेशन करने वाले है। ग्रामीण अपने जानवरों के साथ पड़ाव दर पड़ाव धारचूला आएंगे। वहीं, मार्ग बंद होने से भारत-चीन व्यापार से आयातित सामान भी बूंदी और गुंजी में मार्ग बंद होने से डंप है। ग्रामीण और व्यापारी नजंग से मालपा के बीच मार्ग के जानवरों के चलने योग्य होने पर ही सामान धारचूला पहुंचा सकते हैं। प्रशासन ने तीन चार दिनों के भीतर सामान के साथ जानवरों के चलने योग्य मार्ग तैयार होने का भरोसा दिलाया है।