शिक्षा अधिकारी ही कर रहे हैं सरकार की छवि धूमिल

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उत्तराखंड के विद्यालयी शिक्षा को चुस्त-दुरूस्त करने का काम वर्तमान शिक्षामंत्री अरविंद पाण्डेय कर रहे हैं, लेकिन उन्हीं के विभाग के कुछ अधिकारी कर्मचारी इसमें मीन-मेख निकालकर सरकार की छवि धूमिल करने का काम कर रहे हैं।

मान्यता प्राप्त अशासकीय विद्यालयों में स्वीकृत/रिक्त पदों के सापेक्ष लगभग 612 शिक्षक नियुक्त की प्रत्याशा में काम कर रहे हैं। इनमें 132 प्रवक्ता पद पर तथा 480 सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त हैं। 2000-5000 की राशि प्रतिमाह लेकर काम कर रहे इन शिक्षकों को समान कार्य समान वेतन का नियम लागू किया जाना चाहिए,लेकिन ऐसा नहीं है। सरकारी अधिकारी आर्थिक दोहन के नाम पर तमाम तरह की सीमाएं बांधकर इन लोगों को फंसाने का काम कर रहे हैं।

राज्य गठन के पश्चात 612 पीटीए शिक्षकों को तदर्थ नियुक्ति दी जा चुकी है, जिनमें 563 अध्यापक कार्य कर रहे हैं। इनमें 25 शिक्षक अनुसूचित जाति के भी हैं। सरकार द्वारा इन शिक्षकों के लिए 10 हजार रुपये प्रतिमाह का प्रबंधन किया गया है, लेकिन इस राशि को प्राप्त करने के लिए भी इन शिक्षकों को लंबे अरसे से पॉपड़ बेलने पड़ रहे हैं। हालांकि शिक्षामंत्री अरविंद पाण्डेय ने विधायक देशराज कर्णवाल द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के दौरान उन्हें यह जानकारी दी थी, लेकिन अरविंद पाण्डेय के प्रयासों को पलीता दिखाने का काम विभागीय अधिकारी कर्मचारी कर रहे हैं। शिक्षा विभाग के वरिष्ठ रामकृष्ण उनियाल का फोन बामुश्किल मिला।

इस संदर्भ निदेशक डा. आरके कुंवर से भी जानकारी चाही गई थी, लेकिन उनका फोन बंद मिला। अपर निदेशक गढ़वाल रामकृष्ण उनियाल से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि, “शनिवार और इतवार अवकाश होने के कारण अधिकारिक जानकारी नहीं दी जा सकती।सोमवार को कार्यालय खुलने पर इस बारे में जानकारी दी जाएगी।” श्री उनियाल का कहना है कि, “इन शिक्षकों की कई श्रेणियां हैं, जिनके संदर्भ में कार्यालय खुलने पर ही बताया जा सकता है।” उनियाल के अनुसार, पीटीए शिक्षकों का मसला श्रेणियों में बंटे होने के कारण काफी पेचीदा हो गया है। उन्होंने कहा कि अब सोमवार को ही औपचारिक जानकारी दी जा सकती है।