ऋषिकेश, नहाये खाये से शुरू हुआ छठ पर्व अब धीरे धीरे परवान चढ़ने लगा है, ऋषीकेश में पुर्वान्चालियो के पर्व छठ की तैयारियां पूरी हो चुकी है। सूर्य की उपासनाके इस पर्व को मानाने के लीये उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड के पूर्वांचली बड़ी संख्या में ऋषीकेश के त्रिवेणी घाट पहुचते है जहा छठ पूजा समिती एक बड़ा आयोजन करती है जिस में पूजा की व्यवस्था और लोकगीतों की अनुपम छठ देखने को मिलती है।
इस बार के छठ पूजा महोत्सव की सारी तैयारिया पूरी हो गयी है, बाजारों में भी इस पर्व को लेकर रौनक देखने को मिल रही है। नहाये खाये हुआ सूर्य की उपासना का पर्व आज बाजारों के साथ साथ पूर्वांचलियों के घरों पर भी दिखने लगा है. आज खरना है, खरना की तैयारी में लोग जुटकर छठ माता की मूर्ति और कलश की स्थापना की जा रही है, साथ ही लोक गीत गाकर खरना बनाया जा रहा है।
ऋषीकेश के त्रिवेणी के संगम पर सूर्य की उपासना के पर्व को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, छठ पर्व के लिए देश-विदेश से भी बड़ी संख्या में लोग ऋषिकेश का रुख करते है जिसको देखते हुए गंगा घाटों की साफ़ सफाई का काम भी शरू हो चूका है, साथ ही पूजा के लिए गंगा के तटों पर पंडाल बनाये जा रहे है ताकि पूजा के लिए आने वाले लोगों को किसी तरह की दिक्कत न हो।
लोग दूर दूर से छठ पर्व को मानाने ऋषिकेश का रुख कर रहे है, उत्तर प्रदेश और बिहार से बड़ी संख्या में लोग माँ गंगा के आशीर्वाद के साथ सूर्य देव को अर्क देने पहुच रहे है बाज़ार छठ माता के पसंदीदा फलो से सज गए है, छठ में विशेष तरह के फल और सब्जियों से सूर्य देव को अर्क दिया जाता है जिनमे जड़ वाले फलो और सब्जियों का महत्व ही अलग है। बिहार से श्रद्धालु ऋषिकेश गंगा में पूजा के लिए आ रहे है।
इस बार बाजार में फॉलो सब्जियों पर महगाई का असर साफ़ देखा जा रहा है लोग दुगने दामो पर इन्हे खरीद कर त्यौहार की तैयारी में जुट गए है.।वहीँ पंडित जय कुमार तिवारी का कहना है कि, “वेद पुराणों मे भी सूर्य की उपासना को विशेष महत्व दिया गया है, महाभारत काल में भी द्रोपदी ने भी छठ पूजा का व्रत लिया था। ऋषिकेश के त्रिवेणी संगम में छठ देखने लायक होती है दूर -दूर से श्रद्धालु छठ मैया को प्र्शन करने आते है,पूरा ऋषिकेश पूर्वांचल के रंग में रंग जाता”