नगर निकायों का सीमा विस्तार जनप्रतिनिधियों के लिए खतरे की घंटी

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उत्तराखंड नगर निकायों का सीमा विस्तार कई जन प्रतिनिधियों के लिए समस्या का कारण बन सकता है, नए सीमा विस्तार के बाद कई नगर निकायों के कई मुखिया अपना पद गंवा भी सकते हैं। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल का, जो भाव और प्रभाव है वह कांग्रेस के लिए तगड़ा दांव साबित हो सकता है। सीमा विस्तार भी कई निकायों के प्रमुखों के लिए खतरे की घंटी हैं। इस संदर्भ में सरकार विधिक परीक्षण कराने के निर्देश जारी कर चुकी है।

नगर निगम घोषित होने के बाद ऋषिकेश और कोटद्वार के वर्तमान बोर्डों का भंग होना तय माना जा रहा है, जो उन निकाय प्रमुखों के लिए समस्या का कारण बन सकते हैं। हालांकि नगर निगम और नगर पालिका एक्ट टटोले जा रहे हैं ताकि सरकार के इस आदेश की धज्जियां उड़ाई जा सकें। छोटी सरकार के सीमा के विस्तारीकरण लगभग 38 नगर निकायों के प्रमुखों के लिए खतरे की घंटी है। सीमा विस्तार भी इस बात का ऐलान कर रहा है कि कई नगर निकायों में सत्ता परिवर्तन हो सकता है जो उत्तराखंड में 92 नगर निकाय हैं।

इनमें से 40 निकायों में सीमा विस्तार का प्रस्ताव हो चुका है जबकि देहरादून समेत 14 नगर निकायों में सीमा विस्तार की अंतिम अधिसूचना भी जारी हो चुकी है। जिन नगर निकायों का सीमा विस्तार होना होना है, उनमें रुड़की, काशीपुर, रुद्रपुर, काठगोदाम, हल्द्वानी तथा हरिद्वार और देहरादून के नगर निगम शामिल हैं। इसी प्रकार नगर पालिका पंचायतों के सीमा विस्तार का कार्य चल रहा है। इनमें काम होना है, इन नगर पालिकाओं में कोटद्वार, बागेश्वर, लालकुंआ, पोखरी, पिथौरागढ़, ऋषिकेश, रुद्रप्रयाग, ऊखीमठ, अगस्त्यमुनि, गदरपुर, किच्छा, सितारगंज, दिनेशपुर, शक्तिगढ़, सुल्तानपुर पट्टी, बड़कोट, जोशीमठ, डोईवाला, अल्मोड़ा, बाजपुर, विकासनगर, लंढौरा, झबरेड़ा, कर्णप्रयाग, कीर्तिनगर, देवप्रयाग, नरेंद्रनगर, भवाली, खटीमा, भीमताल, हरर्बटपुर, उत्तरकाशी, टनकपुर का नाम शामिल हैं।