वजीफे के लिए छात्रों को नहीं भा रहा ऑनलाइन सिस्टम

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अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के लिए ऑनलाइन व्यवस्था हुए तीन साल होने वाले हैं, लेकिन अब तक इस सिस्टम में छात्रों की रुचि नहीं बढ़ी है। इसी का परिणाम है कि इस साल प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए चार जिलों से महज चार अल्पसंख्यक छात्रों ने ऑनलाइन आवेदन दाखिल किए हैं, जबकि पांच जनपदों से एक भी आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है। इस आंकड़े से महकमा भी हैरान है। अब अल्पसंख्यक विभाग ने शिक्षा विभाग से संपर्क कर शैक्षिक संस्थाओं को यूजर आईडी तैयार करने और छात्रों के शत-प्रतिशत आवेदन कराने के निर्देश दिए हैं।
उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा की ओर से की गई जनपदवार समीक्षा में इसका खुलासा हुआ। आयोग के अध्यक्ष के अनुसार प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 30 नवंबर है। लेकिन, अब तक अल्मोड़ा, चमोली, पौड़ी, रुद्रप्रयाग व उत्तरकाशी जिले से छात्रवृत्ति के लिए एक भी आवेदन नहीं आया है। जबकि, बागेश्वर, चंपावत, पिथौरागढ़ व टिहरी गढ़वाल ऐसे जिले हैं जहां से मात्र एक-एक आवेदन प्राप्त हुए। इसके अलावा देहरादून से 1874, हरिद्वार से 1899, नैनीताल से 513 व ऊधमसिंह नगर से 1182 आवेदन जमा किए गए। हालांकि, बैठक में यह दावा किया गया कि नई व्यवस्था से छात्रवृत्ति फर्जीवाड़े पर लगाम लगी है, लेकिन आवेदनों की संख्या नाममात्र की रहने पर भी चर्चा की गई। जिसमें सामने आया कि पर्वतीय क्षेत्रों में नेटवर्किंग की दिक्कत के कारण अधिकांश छात्र आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। इस पर फैसला लिया गया कि अब सभी शैक्षिक संस्थाएं अपने स्तर से संबंधित विभाग से संपर्क कर यूजर आइडी तैयार करेंगे और इसके बाद अपने स्तर से ही छात्र-छात्राओं के ऑनलाइन आवेदन कराएंगे। आयोग के अध्यक्ष ने सभी संस्थाओं को 25 नवंबर तक सभी अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं के ऑनलाइन छात्रवृत्ति आवेदन कराने के निर्देश दिए हैं।