आखिर कब खुलेगा आढ़त बाजार का बॉटल-नेक

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वर्ष 2013 में चकराता रोड चौड़ीकरण के बाद उम्मीद जगी थी कि अब शायद देहरादून शहर को आढ़त बाजार के बॉटल-नेक से भी निजात मिल जाएगी, लेकिन चार साल बीतने के बाद भी मामला जस का तस बना हुआ है। आज भी शहरवासियों को इस बॉटल-नेक में दिनभर में एक बार तो फंसना ही पड़ता है। उधर, एमडीडीए में लगातार आला पदों पर अधिकारियों की बदली की वजह से यह प्रोजेक्ट लगातार पीछे खिसकता जा रहा है जिसका खामियाजा कहीं न कहीं आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
एमडीडीए में आर मीनाक्षी सुंदरम के वीसी रहते समय आढ़त बाजार चौड़ीकरण एवं शिफ्टिंग के प्रोजेक्ट पर तेजी से काम हुआ। यहां तक की इसके प्रथम चरण में यहां सिंह गुरूद्धारा के सामने वाली कुछ दुकानों का अतिक्रमण तोडक़र उन्हें पीछे भी किया गया। जबकि रेलवे स्टेशन चौक से लेकर सहारनपुर चौक तक उन दुकानों पर भी लाल निशान लगाने का काम कर लिया गया था जिनके कारण यहां पर जाम की समस्या पैदा होती है लेकिन मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण में लगातार अधिकारियों की बदली के कारण यह प्रोजैक्ट पीछे खिसकता चला गया। मीनाक्षी सुंदरम के बाद आए अधिकारियों ने इस प्रोजैक्ट में अब तक बहुत ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई है जिस कारण यह मामले आगे बढ़ता नहीं दिख रहा है। करीब एक माह पूर्व वीसी का कार्यभार संभाल चुके डॉ.आशीष श्रीवास्तव का भी कहना है कि उनकी कोशिश होगी कि शहर की इस ज्वलंत समस्या के निदान के लिए तेजी से काम किया जाए। इसके लिए उन्होंने संबंधित फाइलें भी तलब की हैं।
एमडीडीए की प्रोजैक्ट मैनेजमैंट यूनिट ने बकायदा आढ़त बाजार का सर्वे कर यहां से कितने दुकानदारों का विस्थापन किया जाना है इसकी पूरी सूची तैयार कर रखी है। यहां तक की आढ़त बाजार के दुकानदारों से इसे लेकर कई दौर की वार्ताएं भी की चुकी हैं। यहां तक की व्यापारियों ने भी उस समय काफी हद तक शिफ्टिंग का मन बना लिया था। भाजपा नेता विनय गोयल के अनुसार अगर एमडीडीए प्रोजैक्ट को सही तरह से आगे बढ़ाता तो व्यापारी क्यों नहीं उसका साथ देंगे।
एमडीडीए की योजना थी कि आढ़त बाजार को शहर से बाहर किसी स्थान पर शिफ्ट किया जाए। पूर्व में तक इसे निरंजनपुर मंडी परिसर में शिफ्ट करने की योजना था लेकिन मंडी परिसर में स्थान कम होने के कारण बाद में इसे शिमला बाईपास रोड पर कहीं जमीन लेकर बसाने की योजना थी। इसके पीछे मकसद यही था कि आढ़त सरीखी जगह पर अक्सर ही भारी वाहनों का आवागमन होता रहता है, ऐसे में शहर के बाहर ही अगर इस बाजार को बसाया जाएगा तो शहर में जाम की समस्या भी कम से कम उत्पन्न होगी।