देहरादून। मत्स्य विभाग एवं मत्स्य पालकों को विश्व मात्स्यिकी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि किसानों की आय को दोगुनी करने के लिए मछली पालन एक अच्छा विकल्प हो सकता है। उन्होंने कहा कि मछली पालन को मार्केटिंग की समस्या नहीं होती और ना ही मूल्य की शिकायत होती है।
मंगलवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने वीर शिरोमणि माधव सिंह भंडारी किसान भवन, देहरादून में विश्व मात्स्यिकी दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मत्स्य पालन में जागरूकता की कमी के कारण हम आवश्यकता के अनुरूप उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं। मत्स्य उत्पादन में लगे किसानों को उत्पादन बढ़ाने के लिए मत्स्य उत्पादन का ज्ञान बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने अध्ययन पर बल देते हुए कहा कि यदि हमारा किसान पढ़ा लिखा होगा, तो नई तकनीक का उपयोग कर अपने उत्पादन को बढ़ा सकेगा। उन्होंने कहा कि किसानों को इंटीग्रेटिड खेती करने की जरूरत है। यदि मत्स्य पालन के साथ बत्तख पालन को जोड़ दें तो इससे मछलियों को वन्य जीवों से सुरक्षा एवं चारा दोनों उपलब्ध होगा, साथ ही बत्तख के अंडे से कमाई के स्रोतों में वृद्धि होगी। मत्स्य पालन के प्रशिक्षण के लिए रिफ्रेशर कोर्स भी चलाए जाने चाहिए। उन्होंने इस अवसर पर मत्स्य पालन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कृषकों को सम्मानित भी किया। उन्होंने चयनित मत्स्य पालकों को इंसुलेटेड वैन, मोबाइल फिश आउटलेट एवं आईसबॉक्स से लैस मोटरबाइक भी वितरित की।
इस मौके पर राज्यमंत्री(स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्या ने कहा कि मछली पालन जहां किसानों के लिए लाभप्रद व्यवसाय है, वहीं स्वास्थ्य के लिए भी लाभप्रद है। पर्वतीय क्षेत्रों में इसके प्रति उदासीनता को समाप्त किया जाना चाहिए। यह कम लागत में अधिक मुनाफा वाला कार्य है। इससे रोजगार भी उपलब्ध होगा। इस अवसर पर सचिव मत्स्य आर.मीनाक्षीसुंदरम और निदेशक यूसर्क दुर्गेश पंत भी उपस्थित रहे।