बीमार पड़ा है जन औषधीय केन्द्र, गरीबों को नहीं मिल रही सुविधा

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अल्मोड़ा- रोगियों को सस्ते दामों में दवाइयां उपलब्ध कराने की सरकार की मंशा को पंख नहीं लग पा रहे हैं। इस योजना के क्रियान्वयन में बरती जा रही लापरवाही का ही परिणाम है कि रोगी अब भी बाजार से दवाइयां खरीद रहे हैं। जबकि दवाओं के लिए खोले गए जन औषधि केंद्र घाटे में चल रहे हैं।
अल्मोड़ा जिला मुख्यालय में रोगियों को सस्ते दामों में जेनरिक दवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बेस अस्पताल में जन औषधि केंद्र खोला गया। इस केंद्र में जेनरिक दवाओं की उपलब्धता सैकड़ों की तादात में है। लेकिन इसके बाद भी यह जन औषधि केंद्र घाटे में चल रहा है। इस जन औषधि केंद्र में सिर्फ कर्मचारियों के वेतन में प्रतिमाह लगभग 24 हजार रुपये का खर्चा आता है। लेकिन महीने भर में दवाओं को बिक्री 15 हजार से अधिक नहीं है। अस्पताल के सूत्रों की मानें तो चिकित्सकों के जेनेरिक नाम से दवाएं लिखने के बजाय ट्रेड नाम से दवाएं लिखने के कारण रोगियों को जन औषधि केंद्र से दवाइयां नहीं मिल पा रही है। जिस कारण जन औषधि केंद्र में दवाओं की बिक्री नहीं हो पा रही है। यही हालात रहे तो रोगियों के लिए सस्ते दामों में दवाएं उपलब्ध कराने की मंशा से खोले गए जन औषधि केंद्र जल्द बंद होने के कगार पर आ जाएंगे।

नगर के बेस अस्पताल में खोले गए जन औषधि केंद्र में प्रयोग में नहीं आ रही दवाओं को वापस नहीं लिया जा रहा है। जिस कारण यहां लाखों रुपये की दवाएं बेकार पड़ी हुई हैं। दरअसल जन औषधि केंद्र को बीपीपीआई, आइडीपीएल कार्पोरेशन गुड़गांव से दवाइयों की सप्लाई की जाती है। लेकिन सैकड़ों तरह की दवाओं में से कुछ दवाएं प्रयोग में ही नहीं आती हैं। वर्तमान में इस जन औषधि केंद्र में लगभग 70 हजार रुपये की 26 प्रकार की दवाएं निष्प्रयोज्य पड़ी हुई हैं। जिन्हें वापस करने के लिए जन औषधि केंद्र के प्रभारी ने संबंधित आपूर्तिकर्ता को कई बार पत्र भी भेजा है लेकिन इसके बाद भी इन दवाओं को वापस नहीं किया जा रहा है।