उत्तराखंड में टिहरी और पौड़ी के गांव सबसे प्यासे

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    गंगा-यमुना का मायका उत्तराखंड के गांवों को पीने के लिए पानी भी मयस्सर नहीं है। केंद्र सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की रिपोर्ट भी इसकी तस्दीक कर रही है। प्रदेश के 39,282 गांव-मजरों में से करीब 56 फीसदी, यानी 21,706 में ही मानक के अनुसार पेयजल मिल पा रहा है, इसमें सबसे खराब स्थिति टिहरी और पौड़ी जिले की है। यहां क्रमश: 21 और 32 फीसदी ही बस्तियों को पर्याप्त पानी मिल रहा है।

    नेशनल रूरल ड्रिंकिंग वाटर प्रोजेक्ट (एनआरडीडब्यूपी) के तहत जारी आंकड़ों पर गौर करें तो तस्वीर चौंकाने वाली है। मानकों के अनुसार, प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति 40 ली. के हिसाब से पानी की उपलब्धता होनी चाहिए, लेकिन उत्तराखंड के 44 फीसदी गांव-मजरों की स्थिति दयनीय है। टिहरी और पौड़ी के अलावा राजधानी देहरादून, हरिद्वार, चमोली और रुद्रप्रयाग जिलों की स्थिति भी बेहतर नहीं है। यहां भी आधी से ज्यादा बस्तियां पेयजल के लिए हर रोज संघर्ष कर रहे हैं। हालांकि कुमाऊं के जिलों में हालात कुछ बेहतर हैं, लेकिन यहां सर्वाधिक संकटग्रस्त जिला अल्मोड़ा है। टिहरी की जिलाधिकारी सोनिका ने बताया कि टिहरी की गंभीर स्थिति को देखते हुए पहली बार पांच साल का प्रोजेक्ट ‘पानी’ तैयार किया गया है, इसमें उन क्षेत्रों को शामिल किया जाएगा, जहां पर पानी की खासी कमी है।

    पानी के लिए तरसती बस्तियां 
    जिला – बस्तियां
    टिहरी – 78.49
    पौड़ी – 67.47
    देहरादून – 59.53
    हरिद्वार – 49.11
    चमोली – 49.76
    रुद्रप्रयाग – 47.46
    अल्मोड़ा – 35.35
    उत्तरकाशी – 34.96
    चंपावत – 27.28
    पिथौरागढ़ – 23.78
    बागेश्वर – 17.28
    नैनीताल – 13.88
    यूएस नगर – 4.59