ऋषिकेश, पर्यटन नगरी ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला-राम झूला अपनी विशेष पहचान रखते है, लेकिन ये दोनों पुल पैदल आने जाने का साधन है काफी लम्बे समय से छेत्र में एक अन्य पल की मांग की जा रही थी, जिसका शिलान्यास पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने अपने कार्यकाल में किया था, जिसका नाम जानकी पुल रखा गया लेकिन बजट के अभाव में इस पुल का काम पिछले 5 सालों से लटका हुआ है।
ऋषिकेश से स्वर्गाश्रम, नीलकंठ महादेव को जोड़ने के लिए जानकी पुल का निर्माण होना है जिसका शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने किया था, जिस से नीलकंठ कावड़ यात्रा में जाने वाले श्रधालुओ को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा, ऋषिकेश से 35 करोड़ 53 लाख की लागत से बनने वाला जानकी पुल पैदल के साथ साथ हल्के वाहनो के लिए भी प्रयोग में आएगा ,लेकिन अभी तक इस पुल के निर्माण के लिए कार्य बड़ी धीमी गति से चल रहा है।
मुनि की रेती पालिका अध्यक्ष शिव मूर्ति कंडवाल का कहना है कि, “सरकार इनसे लिए काफी समय से काम देख रही है लेकिन बजट न मिलने से काम फिलहाल अधूरा है, जानकी पुल का निर्माण ऋषिकेश के पूर्णानंद घाट से वेद निकेतन घाट के बीच होना है जिस से स्वर्गाश्रम जाने वाले यात्रियों को लगभग तीन किलो मीटर की दुरी और लगभग पैदल जाने का 1 घंटे का समय बचेगा।”
पिछली सरकार द्वारा भी इस पल के लिए वादे किये गए थे लेकिम कार्य पूरा नहीं हो सका, ऐसे में बीजेपी सरकार के आने से एक बार फिर लोगों में पुल के प्रति उम्मीद जगी है लेकिन लोगों में अब इसके खिलाफ गुसा भी देखा जा रहा है क्युकी कार्य जस का तस पड़ा हुआ है जिससे सबसे ज्यादा लोगों और यहाँ पहुंचने वाले पर्यटकों को उठानी पद रही है।
पर्यटन के छेत्र में अपनी विशेष पहचान बना चुके लक्ष्मण झूला -राम झूला के बाद अब जानकी पुल का बेसब्री से इंतज़ार है जिसके बनने से इन दोनों पुलो पर दुपहिया वाहनो और भीड़भाड़ का दबाव काम होगा, और तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को भी सहूलियत मिलेगी। अब देखने लायक बात होगी की प्रदेश सरकार इस थमी योजना को कब तक पूरा कर पाते है