एनजीटी की 31 दिसंबर की डेडलाइन के बावजूद अब तक 784 प्रतिष्ठानों ने ही किया आवेदन

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देहरादून। एनजीटी की ओर से भूजल दोहन करने वाले प्रतिष्ठानों के लिए 31 दिसंबर डेडलाइन दिए जाने के बावजूद अब तक केंद्रीय भूजल बोर्ड को 784 आवेदन ही प्राप्त हुए हैं। यह स्थिति तब है, जब एनजीटी के निर्देश के दायरे में आने वाले प्रतिष्ठानों की संख्या जनगणना 2011 के अनुसार ही 68 हजार के पार है।

एनजीटी को भूजल दोहन के लिए आवेदन करने वाले प्रतिष्ठानों की सूची भेजने की जिम्मेदारी जल संसाधन मंत्रालय को सौंपी गई है। इसको लेकर केंद्रीय भूजल बोर्ड के सभी क्षेत्रीय कार्यालय नियमित तौर पर रिपोर्ट भेज रहे हैं।
मंगलवार को केंद्रीय भूजल बोर्ड देहरादून से भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक जनगणना 2011 के अनुसार दायरे में आने वाले कुल प्रतिष्ठानों में से महज 1.15 फीसद प्रतिष्ठानों ने ही भूजल दोहन के लिए आवेदन किया है। सबसे अधिक भूजल का दोहन देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर व नैनीताल जिले में किया जाता है और यहां एनजीटी के निर्देश के दायरे वाले प्रतिष्ठानों की संख्या 31 हजार 500 से अधिक है। मैदानी क्षेत्रों में ही भूजल दोहन की बात स्वीकार की जाए और यह माना जाए कि यहां के 25 फीसद प्रतिष्ठान ही भूजल का दोहन कर रहे हैं, तब भी यह आंकड़ा 7800 से अधिक होना चाहिए। 

इस श्रेणी के लिए भूजल दोहन का आवेदन जरूरी:
यदि उद्योग (फैक्ट्री, वर्कशॉप आदि) स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, होटल, लॉज, गेस्ट हाउस आदि भूजल दोहन कर रहे हैं तो उन्हें इससे पहले केंद्रीय भूजल बोर्ड में आवेदन करने की अनिवार्यता की गई है।
भूजल दोहन को 70 से भी कम अधिकृत
वर्ष 2003 से अब तक की बात करें तो अब तक भूजल बोर्ड के दोहन के लिए राज्य में 70 से भी कम कमर्शियल श्रेणी के प्रतिष्ठान अधिकृत हैं।
दायरे में आने वाले प्रतिष्ठानों की स्थिति
(जनगणना 2011 के अनुसार)
शैक्षणिक, होटल आदि, हॉस्पिटल, उद्योग
जिला
देहरादून, 3113, 1634, 1097, 2728
हरिद्वार, 2233, 2149, 1136, 3634
ऊधमसिंहनगर, 2269, 823, 1074, 3658
नैनीताल, 2502, 1284, 667, 1545
प्रदेश, 29949, 12346, 7676, 18096
इस दौरान केंद्रीय भूजल बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक अनुराग खन्ना ने कहा कि भूजल दोहन के लिए आए आवेदनों की संख्या बेहद कम है, जो कि वास्तविकता से कोसों दूर भी है। हालांकि यह आवेदन भी पिछले कुछ माह में भी प्राप्त हुए हैं। आगे की कार्रवाई डेडलाइन पूरी होने के बाद एनजीटी के निर्देश पर की जाएगी।