देहरादून। अपनी मांगों को लेकर बिजली कार्मिकों के तेवर ज्यों के त्यों बने हुए हैं। मंगलवार को भी चार प्रमुख संगठनों से जुड़े कार्मिकों ने शाम पांच बजते ही विभागीय मोबाइल नंबर स्विच ऑफ कर दिए। इससे बिजली आपूर्ति की व्यवस्था पर प्रभाव पड़ रहा है। विभिन्न कारणों से बिजली आपूर्ति बाधित होने की स्थिति में आपूर्ति बहाल करने में वक्त लग रहा है। क्योंकि, अधिकांश उपभोक्ता कॉल सेंटर पर सूचना देने के बजाय जेई, एसडीओ और अधिशासी अभियंताओं को मोबाइल से सूचना देते हैं।
उत्तरांचल पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन, पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन, ऊर्जा कामगार संगठन, ऊर्जा ऑफीसर्स, सुपरवाइजर्स एंड स्टाफ एसोसिएशन पे-मैट्रिक्स और पदोन्नत वेतनमान के मुद्दे पर संयुक्त रूप से आंदोलनरत हैं। सोमवार को सचिव ऊर्जा राधिका झा के साथ प्रतिनिधि मंडल की वार्ता भी हुई, जो कि विफल रही। चारों संगठनों ने स्पष्ट कर दिया है कि मांगों के संबंध में शासनादेश जारी होने के बाद ही आंदोलन स्थगित किया जाएगा। साथ ही आंदोलन के दौरान अगर किसी भी कार्मिक का प्रबंधन और शासन ने उत्पीडऩ किया तो उसी वक्त से हड़ताल शुरू कर दी जाएगी। संयुक्त मोर्चे के गढ़वाल मंडल प्रवक्ता दीपक बेनीवाल ने कहा कि सातवें वेतनमान में पे-मैट्रिक्स का निर्धारण गलत हुआ है और पदोन्नत वेतनमान की नई व्यवस्था भी अव्यवहारिक है। इसमें संशोधन का प्रस्ताव तीनों निगम प्रबंधन शासन को भेज चुके हैं, लेकिन शासन स्तर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। जिससे कर्मिकों में भारी आक्रोश है।