देहरादून। उत्तराखंड में गंगा नदी की स्वच्छता, चिकित्सा व कौशल विकास में तकनीकि और आर्थिक सहयोग देने के मकसद से जर्मनी की संस्था जीआईजेड (जर्मन एजेंसी फाॅर इंटरनेशनल टेक्निकल को-आॅपरेशन) आगे आई है। इसी क्रम में जर्मन संस्था के प्रतिनिधिमंडल ने डिप्टी मिशन चीफ डाॅ जेस्पर वेक के नेतृत्व में सचिवालय में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह से मुलाकात की। जहां उन्होंने कई तकनीकी और वित्तीय सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से विचार-विमर्श किया।
गंगा नदी की स्वच्छता के लिए जर्मनी के मिशन चीफ के समक्ष 920 करोड़ रुपये के प्रस्ताव पर चर्चा हुई। जीआईजेड को बताया गया कि हरिद्वार, ऋषिकेश, तपोवन, मसूरी, देहरादून में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट नेटवर्किंग का कार्य किया जाएगा। इन शहरों में 265.47 एमएलडी सीवेज निकलता है। इनके नेटवर्किंग 574.26 किमी में की जानी है। जर्मन मिशन ने भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार द्वारा बनाये गये डीपीआर का मूल्यांकन जर्मन तकनीकी टीम द्वारा किया जा रहा है। जीआईजेड गंगा नदी की स्वच्छता के लिए 920 करोड़ रुपये दिये जाने पर जल्द निर्णय लेगी।
मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तराखंड सरकार का संकल्प है कि गंगा नदी स्वच्छ व निर्मल हो। कोई भी नाला गंगा नदी में नहीं गिरने दिया जाएगा, इसके लिए गंगा किनारे के कस्बों में कार्य चल रहा है। जर्मनी के सहयोग से इस कार्य में और गति मिलेगी। बैठक में जीआईजेड मिशन चीफ के साथ फेडरल मिनिस्ट्री के साउथ एशिया डिवीजन हेड डाॅ रोलफ्राम क्लेन, जर्मन डेवलपमेंट बैंक के सीनियर पाॅलिसी आॅफिसर, जीआईजेड के कंट्री डायरेक्टर डाॅ यूरिक रिवेरे, सिल्के पालविज, प्रमुख सचिव मनीषा पंवार, कमिश्नर गढ़वाल दिलीप जावलकर, सचिव शहरी विकास नितेश झा, एमडी सिडकुल सौजन्या, सचिव पेयजल अरविंद सिंह ह्यांकी, अपर सचिव विनोद कुमार सुमन सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।