मानव संसाधन की कमी का दंश झेल रहा विश्वविद्यालय

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देहरादून। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के सरकार के तमाम दावे हकीकत की जमीन पर केवल दावे ही साबित हो रहे हैं। घोषणाओं की होड़ में संस्थानों को अस्थित्व तो दे दिया गया, लेकिन संसाधनों के मामले में गौर करना भूल गए। तमाम संस्थान किसी न किसी पहलू पर संसाधनों की कमी झेल रहे हैं, लेकिन प्रदेश की श्रीदेव सुमन विवि इनमें पहले स्थान पर आता है। विश्वविद्यालय में स्थाई कर्मचारियों का आंकड़ा कभी भी आधा दर्जन को पार नहीं करता।  प्रदेश में करीब पांच साल पहले जब एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय ने प्राइवेट परीक्षाएं कराने से इनकार कर दिया तो सरकार ने आनन-फानन में श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय की स्थापना कर प्राइवेट परीक्षाओं का जिम्मा उसको सौंपा था। केंद्रीय विवि के कुलसचिव डॉ. उदय सिंह रावत को विवि का पहला कुलपति नियुक्त किया गया। तब कुलपति और फाइनेंस कंट्रोलर के स्थाई पद सृजित किए गए। विवि में कुलपति का पदभार संभालने के साथ ही डॉ. यूएस रावत ने शासन को 137 पदों के सृजन का प्रस्ताव सरकार को भेजा, लेकिन इस पर अब तक कोई विचार नहीं किया गया। यूजीसी के प्राइवेट परीक्षाओं को अवैध घोषित करने के बाद यह जिम्मा विवि पर नहीं रहा, लेकिन इसके अलावा राज्य के अन्य कॉलेज और व्यवसायिक कोर्स संचालित करने वाले संस्थानों की जिम्मेदारी विवि को दी गई। इसके चलते विवि की समस्याएं जस की तस हैं। मौजूदा स्थिति पर गौर करें तो विवि के अंतर्गत छात्रों की संख्या लाखों में है।  लगातार बढ़ रहे कॉलेज और छात्र वर्ष 2015 से 28 बीएड कॉलेज भी श्रीदेव सुमन विवि से संबद्ध हुए। वहीं 35 प्रोफेशनल कॉलेज भी विवि से बीते दो सालों में संबद्ध हुए। साथ ही गढ़वाल विवि से डी-एफिलिएट होने वाले कॉलेज भी विवि से जोड़ दिए गए। ऐसे में श्री देव सुमन विवि में कॉलेज व छात्र संख्या बढ़ने के साथ ही जिम्मेदारियों में भी कई गुना इजाफा हुआ। छात्रों के परीक्षा फॉर्म, परीक्षाओं व कागजी कार्यवाही करने के लिए ही सैंकड़ों कर्मचारियों की आश्यकता है। विवि में 19 दिसम्बर से सेमेस्टर परीक्षाएं आयोजित होनी हैं। इसको लेकर विवि में मानव संसाधन की भारी कमी है।  विवि के कुलपति डॉ. उदय सिंह रावत ने शुक्रवार को बताया कि लगभग 30,000 परीक्षार्थी सेमेस्टर परीक्षा में सम्मिलित होंगे। सभी परीक्षाएं पांच जनवरी तक समाप्त हो जाएंगी। फरवरी में परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में काफी संख्या में मानव संसाधन की आवश्यकता होगी, जो विवि के पास उपलब्ध नहीं है। ऐसे में परेशानी होना लाजमी है।