उत्तराखंड के प्राचीन यात्रा मार्गों को नया स्वरूप दिया जाना आवश्यक: महाराज

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देहरादून। उत्तराखंड में यात्रा के प्राचीन मार्गों को नूतन स्वरूप दिया जाना तथा उन्हें सर्वमौसमी सडक़ों से जोड़ा जाना समय की मांग है,इसके लिए जो भी पहल पर्यटनमंत्री सतपाल महाराज कर सकेंगे करेंगे। हालांकि, प्रदेश सरकार द्वारा सर्वमौसमी सडक़ों (ऑल वेदर रोड) से क्षेत्रीय सडक़ों को जोडऩे की कसरत तेज हो गई है। इसी संदर्भ में सतपाल महाराज से चर्चा की गई।

एक विशेष भेंट में पर्यटनमंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि वह चाहते हैं कि उत्तराखंड के विकास की रीढ़ मानी जानी वाली इन सडक़ों को सर्वमौसमी सडक़ों से जोड़ा जाए। वे मानते हैं कि इसके लिए वे केन्द्रीय सडक़ परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से भेंटकर इस तरह की मांग रखेंगे कि सभी क्षेत्रीय सडक़ों को सर्वमौसमी सडक़ों से जोड़ा जाए। उनका कहना था कि प्राचीन काल से ही चारधाम यात्रा गंगोत्री,यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के माध्यम से पूर्ण होती है। इसके लिए आवश्यक है कि हमारे सभी यात्री जो उत्तराखंड दर्शन के लिए आ रहे हैं। सबसे पहले गंगोत्री फिर यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ के दर्शन कर अपने गंतव्यों को लौटें। केन्द्र ने चारधाम यात्रा के लिए जो सर्वमौसमी सडक़ों का प्रस्ताव किया है। उस प्रस्ताव में विकासनगर से बडक़ोट तक का क्षेत्र शामिल नहीं है। इसी तरह क ई अन्य क्षेत्र भी उसमें शामिल नहीं किए गए हैं।
सतपाल महाराज मानते हैं कि प्रदेश के मंत्री और विधायक इस संदर्भ में नितिन गडकरी से मिलकर उनको प्राचीन यात्रा मार्गों की जानकारी देंगे। इस व्यवस्था से चारधाम यात्रा की दूरी भी कम होगी और लोगों को आसानी भी होगी। उनका कहना था कि उत्तराखंड केवल धार्मिक यात्रा का हा नहीं साहसिक यात्रा का भी सबसे बड़ा केन्द्र साबित हो सकता है। शीतकालीन क्रीड़ा यानि बर्फ क्रीड़ा का सर्वश्रेष्ठ केन्द्र है। औली और गोरसों ऐसे क्षेत्र स्काइंग जैसी शीतकालीन क्रीड़ा हो सकती है,जिसके लिए सरकार प्रयासरत है।
उनका कहना है कि कौडिय़ाला के वॉटर फॉल को भी पर्यटकों के लिए महत्वपूर्ण केन्द्र बनाया जा सकता है। सतपाल महाराज मानते हैं कि प्राचीन चारधाम यात्रा मार्गों को खोलने से जहां समय और ईंधन बचेगा। वहीं लोग इस क्षेत्र की सुगम यात्रा कर सकेंगे।