पॉलीथिन प्रतिबंध को बताया एनजीटी का स्वागत योग्य कदम

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ऋषिकेश, पर्यावरणविद् और सामाजिक आन्दोलनकारी विनोद जुगलान ने एनजीटी द्वारा पॉलीथिन पर प्रतिबंध का स्वागत योग्य कदम बताते हुए कहा कि यह आदेश ऐसे समय में आया है, जब सामाजिक आन्दोलनकारी पर्यावरण का चिंतन करते हुए स्थायी राजधानी गैरसैंण को बनाये जाने के लिए अनशन कर आन्दोलित हैं।

उन्होंने अपना वक्तव्य जारी करते हुए कहा कि अधिकरण कापर्यावरण और सामाजिक आन्दोलनकारी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि देश की राजधानी दिल्ली जहाँ भारत के निवास करते हैं वहाँ की आबोहवा को जब हम सुरक्षित नहीं रख पाए तो शीघ्र ही देहरादून की स्थिति भी विकराल रूप धारण करेगी। इसलिए हमें पर्यावरण संरक्षण हेतु शीघ्र हल निकालने के प्रयास करने होंगे।जिसका स्थायी हल स्थायी राजधानी गैरसैंण है जो इको फ्रेंडली राजधानी बनायी जाय।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा उत्तराखण्ड की धर्म नगरी हरिद्वार-ऋषिकेश से लेकर विश्वनाथ की नगरी उत्तरकाशी तक गंगा किनारे प्लास्टिक के बैग,प्लेट,चम्मच और डिस्पोजल गिलास के निर्माण, भण्डारण बिक्री सहित प्रयोग पर लगाये गए प्रतिबन्ध को उचित ठहराते हुए कहा कि पॉलीथिन प्रतिबंध से गँगा में बढ़ रहे प्रदूषण पर नियन्त्रण लग सकेगा। चूँकि भारतीयों के लिए गँगा केवल नदी मात्र नहीँ अपितु हमारी सभ्यता और संस्कृति है। जिसका सीधा सम्बन्ध करोड़ों करोड़ जनता की आस्था से जुड़ा हुआ है। इसलिए गंगा की सभ्यता और सांस्कृतिक विरासत को बचाने के हमें प्रयास करने चाहिए। जो कठोर नियमो के साथ साथ जनजागरूकता से भी किये जा सकते हैं।

पर्यावरण आन्दोलनकारी जुगलान का कहना है कि, “प्रदेश की सरकार एनजीटी के आदेशों का शीघ्र पालन करते हुए गंगोत्री से हरिद्वार तक गंगा की पवित्रता संरक्षण और सफाई को जन जागृति अभियान चलाए ताकि हमारी अमूल्य धरोहर गँगा का अस्तित्व बचाया जा सके। उन्होंने बद्रीनाथ से लेकर हरिद्वार तक सीधे सीधे गँगा में गिराए जा रहे मलमूत्र को रोकने के भी उपाय करने की राज्य सरकार से माँग की है। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि गंगा के संरक्षण को धरातल पर कार्य नही हुआ तो हमें हमारी नस्लें कभी माफ नहीं करेंगी। इसलिए एनजीटी के आदेश का सख्ती के साथ सरकार को पालन कराना चाहिए।”