दिल्ली सरकार के हादसों के शिकार लोगों को मुफ्त इलाज देने के फैसले के बाद से उत्तराखंड में भी इस तरह के कानून की मांग होने लगी थी। वहीं आपको ये जानकर हैरानी होगी के सरकारी नियमों में इस तरह का प्रावधान पहले से ही मौजूद है। इसके बारे में उत्तराखंड यातायात निदेशालय के फेसबुक पेज से निदेशक केवल खुराना ने जानकारी साझा की। इस पोस्ट में कहा गया है कि
“#यातायात_निदेशालय_उत्तराखंड_की_आमजन_से_अपील
सङक सुरक्षा समिति के पत्र संख्या -29/2014/सीओआरएस दिनांक 24.11.2017 के द्वारा अवगत कराया गया है कि मोटरयान अधिनियम-1988 की धारा 161 से 163 के अन्तर्गत अझात वाहन से टक्कर मारकर भाग जाने की स्थिति में प्रभावित व्यक्तियों को आर्थिक सहायता प्रदान किये जाने की व्यवस्था है। केन्द्र सरकार द्वारा अधिसूचना संख्या 440ई दिनांक 12.06.89 के अन्तर्गत तोषण निधि योजना (सोलेशियम फण्ड स्कीम )प्रवृत्त की गयी है जिसके अन्तर्गत अझात वाहन द्वारा टक्कर मारने के कारण मृत्यु होने की स्थिति में रूपये 25000/- एवं गम्भीर चोट लगने पर रूपये 12500/- की आर्थिक सहायता की व्यवस्था की गयी है। आम जन में इस स्कीम की जानकारी नहीं है जिससे राज्य सरकार द्वारा नामित बीमा कम्पनियों को लाभ हो रहा है तथा पीङित व्यक्तियों को आर्थिक नुकसान हो रहा है स्कीम के तहत अझात वाहन से दुर्धटना पीङित जिला मर्जिस्टेट के समक्ष आवेदन कर सकता है ।”
गौरतलब है कि पोस्ट में साफ लिखा गया है कि इस बारे में आम लोगों को जानकारी न होने के कारण न तो लोगों को इस सुविधा का फायदा मिल पा रहा है बल्कि सरकार की जेब से बीमा कंमपनियों को जाने वाले प्रीमियम ये इन कंपनियों की जेबें भर रही हैं।स्कीम के तहत अझात वाहन से दुर्धटना पीड़ित जिला मर्जिस्टेट के समक्ष सहायता राशि के लिये आवेदन कर सकता है।