उत्तराखण्ड में संघ की 29 शिविरों में राष्ट्र निर्माण का युवा लेंगे प्रशिक्षण

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देहरादून,  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का प्राथमिक शिक्षा वर्ग उत्तराखण्ड में 23 दिसम्बर से शुरू हो रहा है। राज्य भर में कुल 29 शिविर लगाए जा रहे हैं जो पिछले वर्ष की तुलना में इस बार सात शिविरों की बढ़ोतरी हुई है। यह शिविर पूरे प्रदेश में दिसम्बर से लेकर जनवरी के दूसरे सप्ताह तक जगह-जगह चलेगा। जिसमे हजारों की संख्या में शिक्षार्थी भाग लेंगे और यही स्वंयसेवक शिविर के बाद अपने-अपने क्षेत्र में जाकर संघ की शाखाओं के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में युवाओं की सहभागिता पर कार्य को गति प्रादान करेंगे।

राजधानी देहरादून सहित पूरे प्रदेश में इस बार कुल 29 शिविर प्राथमिक शिक्षा वर्ग लगाए जा रहे हैं। जो पिछले वर्ष से सात ज्यादा है। पिछले वर्ष कुल 22 शिविर लगाए गए थे। वैसे तो सरकारी जिला 13 है। लेकिन संघ अपनी रंचना के अनुसार उत्तरांचल प्रांत को कुल 25 जिला बनाया गया है। इसी जिलों के अनुसार संघ अपने कार्य की रूपरेखा तय करता है। हर जिले में एक-एक शिविर लगाए जाते है। प्राथमिक शिक्षा वर्ग सबसे पहले विकासनगर में 23 दिसम्बर से प्रांरभ होगी और इसी प्रकार जिलों में अलग-अलग स्थानों पर दस जनवरी तक चलेगा। यह शिविर सात दिनों का होता है। जिसमें भाग लेने वालें स्वयंसेवक को रात-दिन वहीं रहकर प्रशिक्षण प्राप्त करते है। बेहद अनुशासति व संयमित जीवन जीने की शिक्षा मिलती है। इस दौरान नियुद्ध कराटे, दंड, डंडा योगासन, स्वदेशी खेलों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही जीवन के नैतिक मूल्यों का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा।

उत्तरांचल प्रांत के प्रांत प्रचारक युद्धवीर सिंह संघ शिविर को गुणवत्ता युक्त बनाए रखने के लिए पूरी व्यवस्था पर विशेष नजर बनाए हुए है। इसके लिए वे गढ़वाल और कुमांउ दोनों मंडलों का लगातार प्रवास कर रहे है। इस दौरान वे जगह-जगह संघ से जुड़े दायित्वधारियों के साथ बैठक कर शिविर की तैयारियों का संवाद कर रहे है।

प्रांत कार्यवाह दिनेश सेमवाल ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि उत्तरांचल प्रांत में पिछले कई वर्षों से हर जिले में एक ही स्थान पर शिविर लगाए जाते थे। लेकिन इस बार देहरादून, पिथौरगढ़, काशीपुर, उधमसिंहनगर, रूद्रपुर में दो-दो शिविर लगाए जा रहे है। शिविर में 14 वर्ष से 40 वर्ष तक के आयु के स्वयंसेवक ही भाग लेंगे। प्राथमिक शिक्षा वर्ग में कक्षा नौ के विद्वार्थी ही भाग ले सकते है।

प्रांत कार्यवाह ने बताया कि स्वयंसेवकों में शारीरिक एवं बौद्धिक दक्षता होनी चाहिए और इसकी दैनिक शाखा में तो जानकारी मिलती है, परंतु संघ शिक्षा वर्ग का पाठ्यक्रम व्यक्तित्व विकास के कई आयामों को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। इसमें संघ से जुड़े प्रत्येक पहलू पर गहराई से चिंतन होता है। इस वर्ग में स्वयंसेवक संघ को जीना सीखते हैं। शाखा लगाने के साथ-साथ एक स्वयंसेवक में क्या-क्या गुण होने चाहिए, सीखते हैं। शिविर में प्रांतीय, क्षेत्रीय और केन्द्रीय अधिकारियों का शिविरार्थियों को मार्गदर्शन मिलेगा। इसके लिए किसका-किसका कहां बौद्धिक लगेगा कार्यक्रम तैयार कर लिया गया है, जो स्वयंसेवक प्राथमिक वर्ग का शिक्षण प्राप्त कर लेता है वही प्रथम वर्ग में भाग लेते हैं जो 20 दिन का होता है।