देहरादून, ईको टास्क फोर्स के संग मिलकर रिस्पना के पुनर्जीवन पर काम कर रहे देहरादून के शिक्षित छात्रों के संगठन, मेकिंग ए डिफरेंस बाई बीइंग द डिफरेंस ने रिस्पना पुनर्जीवन पर जन भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया। इसी क्रम में संस्था ने पद्मश्री चडीं प्रसाद भट्ट से उनके गोपेश्वर स्थित आवास में मुलाकात की, दो घंटे की मुलाकात के बाद भट्ट ने संस्था को अपना समर्थन देने की बात कही।
मैड संस्थान के संथापक अभिजय नेगी ने बताया कि, “पद्मश्री चंडी प्रसाद भट्ट के कई दशकों के अनुभव से भी संस्था को काफी मार्गदर्शन मिला है,अब सरकार के साथ मिलकर ही इतने बड़े स्तर का अभियान चलाया जा सकता है।” इसके पश्चात मैड संस्था ने ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन में स्वामी चिदानंद मुनि से भेंट की और उनसे रिस्पना पुनर्जीवन पर उनकी राय समझी। स्वामी चिदानंद ने एक ग्रैंड प्लान की बात कही और दोनों में मैड संस्था को जन भागीदारी एवं युवाओं को साथ लेने की पहल करने का सुझाव दिया।
मैड ने रिस्पना पुनर्जीवन को उत्तराखंड वैज्ञानिक एवं अनुसंधान संस्थान के प्रो. दुर्गेश पंत व अन्य वैज्ञानिकों से भी मुलाकात की। वैज्ञानिकों से नदी का बहाव कैसे बढ़ाया जा सकता है और जलविज्ञान की कैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है इसे लेकर चर्चा की गई।
नेगी ने बताया कि, “संस्था के सदस्यों द्वारा हर दिन बैठक और विचार-विमर्श किया जा रहा है, ताकि रिस्पना पुनर्जीवन के कार्यों को गति प्रदान की जा सके, अब प्रदेश सरकार से इस मुद्दों पर गंभीरता से बात की जाएगी। सरकार के सहयोग से इस दिशा में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे, क्योंकि जन भागीदारी और सरकारी संवेदनशीलता के साथ रिस्पना पुनर्जीवन देहरादून के इतिहास में एक नवीन उदाहरण के तौर पर पूरे देश के सामने प्रस्तुत होगा।”