विकास की भेंट चढ़ते उत्तराखंड के हजारों पेंड़

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उत्तराखंड के वनों पर मानों विपत्ती सी ही आ गई हैं।पहले ऑल वेदर रोड बनाने के लिए रुद्रप्रयाग रेंज में हजारों पेड़ों को काटा गया और अब सड़क चौड़ी करने के लिए हरिद्वार रेंज में भगवानपुर के आसपास लगभग दो तीन किलोमीटर में हजारों यूकलिप्टिस के पेड़ों को काट दिया गया है।

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अगर आप देहरादून-दिल्ली हाइवे पर सफर कर रहे हैं तो आप देखेंगे की सड़क किनारे पड़े हजारों पेड़ इंसानों के विकास की बलि चढ़ चुके हैं और अभी तो यह शुरुआत है आगे आने वाले समय में ना जाने कितने और पेड़ कांटे जाऐंगे।दरअसल पिछले दिनों ऑल वेदर रोड परियोजना के लिए सड़क किनारे के हजारों चीड़ के पेड़ काट दिए गए जिसका विरोध सोशल मीडियी के माध्यम से हर तरफ हुआ।

आपकों बतादें कि सड़कें, बांध, पर्यटन, रेलवे लाइन आदि के निर्माण में पिछले दो वर्षों में दस लाख पेड़ काटे जा चुके हैं। वर्तमान में आल वेदर रोड के निर्माण में जिस तरह से पेड़ों की अंधाधुध कटाई चारधाम यात्रा मार्ग पर हो रही है, उससे पूरा हिमालय हिल चुका है।गंगोत्री से लेकर ऋषिकेश तक पड़ों की निर्मम कटाई हो रही है।आॅल वेदर सड़क के नाम पर जिस तरह से विकास के नाम पर दानवीय प्रवृति दिख रही है, वह खतरनाक संकेत है। 18 से 24 मीटर चौड़ी सड़क बनाने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है और 24 मीटर का अधिग्रहण हो रहा है।

पेड़ो को काटने के बारे में टीम न्यूजपोस्ट से बातचीत में वन एंव पर्यावरण की अपर सचिव मीनाक्षी जोशी ने कहा कि, “पेड़ों को काटने की मुख्य वजह है सड़कों का चौड़ीकरण, सड़को को बढ़ाने के लिए पेड़ों को काटना जरुरी है लेकिन हम केवल पेड़ नहीं काट रहे साथ ही हम नए पेड़ लगा भी रहें हैं।”

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वहीं पर्यावरणविद और उत्तराखंड के ग्रीन अम्बेसडर जगत सिंह चौधरी यानि जंगली जी ने टीम न्यूजपोस्ट से बातचीत में कहा कि, “उत्तराखंड को पर्यावरण और विकास को साथ लेकर चलना होगा।विकास कौन नहीं चाहता,अच्छी सड़के कौन नहीं चाहता लेकिन उसके लिए जंगलों को निर्ममता से काटना कोइ विकल्प नहीं।हिमलाय पहले से ही संवेदनशील है।भूकंप जोन में पांचवे स्थान पर आने वाला प्रदेश है,ब्लासटिंग और लैंडस्लाइडिंग में भी उत्तराखंड का नाम काफी ऊपर है।इसके साथ ही उत्तराखंड की नदियां सूख रहीं,जल स्तर गिर रहा और अब यह योजनाओं के लिए जंगलों का काटना पर्यावरण के लिए नुकसानदेह है।जंगली जी ने कहा कि सरकार को अगर सच में विकास करना ही है तो इसके लिए नए सिरे से सोचना होगा और नई तकनीक विकासित करनी होगी जिसपर किसी का ध्यान नहीं जा रहा।” जंगली जी ने कहा कि, “अगर सच में उत्तराखंड को विकासित करना है तो आने वाली पीढ़ी के लिए पेड़ों को काटने से बेहतर विकल्प है पेड़ों को रिप्लानट करना यानि की एक जगह से पेड़ उठाकर दूसरी जगह लगाना।ऑल वेदर रोड में करोडो़ं का बजट खर्च होगा अगर थोड़ा सा बजट पेड़ों को रिप्लांट करने में किया जाएगा तो ऑल वेदर रोड के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा भी कि जाएगी। जंगली जी ने कहा कि राज्य में पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने की जरुरत है।विकास के नाम पर हम हिमालय को नुकसान नहीं पहुंचा सकते और एनजीटी भी इस मुद्दे पर कोइ ठोस कदम नहीं उठा रहा।”

आपको बतादें कि पेड़ काटने के विषय को लेकर सारे विभाग चुप्पी साधे हुए हैं, किसी के पास सवालों के जवाब नहीं हैं सारे विभाग अपने-अपने काम कर रहे हैं, किसी के पास पर्यावरण संरक्षण के लिए कोई विकल्प नहीं है।एनजीटी से लेकर हर किसी के पास उत्तराखंड के लिए पर्यावरण संरक्षण के लिए कोई ठोस उपाय नहीं हैं।

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