45 बीघा सरकारी जमीन कब्जाने की तैयारी

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    देहरादून। ईस्ट होप टाउन के झाझरा क्षेत्र में करीब 45 बीघा सरकारी जमीन को कब्जाने की तैयारी की जा रही है। मंडलायुक्त दिलीप जावलकर को इस बात की भनक लगी तो वह खुद मौके पर जा पहुंचे और राजस्व टीम से जमीन की पैमाइश कराई। करीब सात घंटे चली पैमाइश में पता चला कि जिस जमीन को अन्य लोग अपना बता रहे हैं, वह सरकारी है। इसे गंभीर मानते हुए मंडलायुक्त ने जिलाधिकारी एसए मुरुगेशन को जांच के आदेश दिए हैं।

    पिछले दिनों कुछ लोग मंडलायुक्त दिलीप जावलकर से यह कहते हुए मिले कि ईस्ट होप टाउन में खसरा नंबर 1171 में उनकी जमीनें हैं, जबकि विकासनगर के उप जिलाधिकारी उन्हें कब्जा नहीं लेने दे रहे हैं। उन्होंने संबंधित खसरा नंबर पर अपनी जमीन होने के कागज भी दिखाए। वहीं, मंडलायुक्त को अन्य माध्यम से यह भी पता चला कि जमीन सरकारी है और ये लोग जमीन पर अवैध कब्जा करना चाहते हैं। साथ ही पता चला कि वर्ष 2006 में इस खसरा नंबर की भूमि एसडीआरएफ/आपदा प्रबंधन विभाग को यूनिट स्थापित करने के लिए आवंटित की गई थी। प्रकरण को गंभीर मानते हुए मंडलायुक्त दिलीप जावलकर ने स्वयं मौके पर जाकर जमीन की हकीकत पता करने का निर्णय लिया। उन्होंने एसडीएम विकास नगर व राजस्व टीम की उपस्थिति में जमीन की पैमाइश कराई तो पता चला कि आपदा प्रबंधन ने खसरा नंबर 1176 पर कब्जा प्राप्त किया है और यह भूमि अभी भी सरकार के नाम पर है। जबकि मौके पर जमीन के कुछ हिस्से पर प्लॉटिंग भी पाई गई। इसे गंभीर मानते हुए मंडलायुक्त ने तत्काल जिलाधिकारी एसए मुरुगेशन को जांच सौंपी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि जो जमीन सरकार की है, उस पर लोगों ने किसकी मिलीभगत से अपने नाम के दस्तावेज तैयार कर लिए।
    साडा को मिलेगा कब्जा, बनेगा पार्क
    जमीन पर कब्जा होने से बचाने और उसके सदुपयोग के लिए मंडलायुक्त दिलीप जावलकर ने निर्देश दिए कि दून घाटी विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) इस पर कब्जा प्राप्त करे और भूमि पर पार्क विकसित किया जाए। इस कार्रवाई के पूरे होने तक उपजिलाधिकारी विकासनगर को निर्देश दिए गए हैं कि वह किसी भी व्यक्ति को जमीन पर कब्जा न करने दें।

    आपदा प्रबंधन की चूक का उठाया लाभ
    प्रशासन ने भी यह मान लिया था कि एसडीआरएफ ने खसरा नंबर 1171 पर ही कब्जा लिया है। यहीं से इस जमीन को खुर्दबुर्द करने की पटकथा तैयार की गई। ऐसे में यह दिखाने की कोशिश की गई कि यह जमीन खसरा नंबर 1171 के तहत नहीं है और राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से इस जमीन पर विभिन्न लोगों के नाम के दस्तावेज तैयार करा लिए गए।