देहरादून। दून मेडिकल कॉलेज के तीसरे बैच की मान्यता को लेकर अब कॉलेज प्रशासन हरकत में दिख रहा है। एमसीआई ने कॉलेज में फैकल्टी की कमी सहित कई खामियां गिनवाई थी। कॉलेज के टीचिंग अस्पताल में 14 जूनियर व एक सीनियर रेजिडेंट की नियुक्ति कर दी है। इसके अलावा फैकल्टी के 14 पद भी जनवरी माह के अंत तक भर लिए जाएंगे।
दून मेडिकल कॉलेज को वर्ष 2016 में 150 एमबीबीएस सीट की मान्यता मिली थी। गत वर्ष एमसीआई ने द्वितीय एलओपी (लेटर ऑफ परमीशन) दी। हाल ही में यहां एमबीबीएस के दो बैच अध्ययनरत हैं। अब अगस्त-सितम्बर में यहां तृतीय बैच के दाखिले होंगे, जिसकी मान्यता के लिए एमसीआई की टीम मेडिकल कॉलेज व अस्पताल का निरीक्षण कर चुकी है, जिसमें व्यवस्थाएं अनुकूल नहीं पाई गईं हैं। एमसीआई ने फैकल्टी की कमी सहित कई खामियां गिनवाई। मुख्य समस्या फैकल्टी की थी, जिन्हें मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने दुरुस्त करना शुरू कर दिया है।
दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रदीप भारती गुप्ता का कहना है कि एमसीआई ने कुछ खामियां इंगित कर इन्हें दूर करने को कहा था। इन खामियों में अधिकांश दूर कर ली गई हैं। अस्पताल के मेडिसिन विभाग में एक सीनियर रेजिडेंट को नियुक्ति दी गई है, जबकि सर्जरी, बायोकैमिस्ट्री व गाइनी में तीन-तीन और हड्डी रोग, बाल रोग, कम्यूनिटी मेडिसिन, पैथोलॉजी व एनाटॉमी विभाग में एक-एक जूनियर रेजिडेंट नियुक्त किए हैं। फैकल्टी के 14 पदों पर भी माह अंत तक नियुक्ति कर ली जाएगी।
एमसीआई ने ये बताई थी खामियां: आवश्यक फैकल्टी में 25 फीसद की कमी। रेजिडेंट की 14.28 फीसद कमी। नेत्र रोग की ओपीडी में मामूली सर्जरी के लिए कक्ष नहीं। वार्डों में बेड के बीच दूरी मानकों के अनुरूप नहीं। चर्म व यौन रोग से जुड़े बेड नहीं।
कई वार्ड में पेंट्री की सुविधा ही नहीं। माइक्रोबायोलॉजी, फार्माकोलॉजी, फोरेंसिक मेडिसन व पैथोलॉजी विभाग निष्क्रिय। केंद्रीयकृत पुस्तकालय में 40 के सापेक्ष 30 ही जर्नल। अस्पताल में लेक्चर थियेटर नहीं। अस्पताल में इंटरकॉम की सुविधा उपलब्ध नहीं।