बाघों की बढी संख्या वन्य जीव प्रेमियों के लिए शुभ संकेत

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रामनगर, बाघों की सुरक्षा को लेकर चल रहे मंथन में सब कुछ ठिक ठाक ही रहा, बाघों के संरक्षण में पौडी जिले का लैंसडाउन जहां सबसे बेहतर माना गया वहीं कार्बेट में भी बाघों की संख्या बढकर सामने आयी है जो वन्य जीव प्रेमियों के साथ ही वनाधिकारियों के लिए भी शुभ संकेत है। वहीं इस संख्या को और भी बडाने पर जोर दिया गया, दो दिवसीय बैठक में बाघों की सुरक्षा और वन्य जीवों के संरक्षण पर अधिकारियों ने कई प्रस्ताव भी रखे, साथ ही इस दौरान टाइगर रिजर्व के बाहर बाघों के संरक्षण के मामले में उत्तराखंड के पौड़ी जिले का लैंसडौन वन प्रभाग देश में पहले और विश्व में तीसरे स्थान पर है। इस उपलब्धि पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) अब इस वन प्रभाग को फंडिंग भी करने का मन बना रहा है।

देश में बढ़ी बाघों की संख्या से वन्य जीव प्रेमी उत्साहित हैं, कार्बेट नेशनल पार्क के पास में 13 राज्यों के वनाधिकारी जुटे तो बाघ संरक्षण पर गहन मंथन किया गया। दो दिनी बैठक में वक्ताओं ने कहा कि देश में बाघों की बढ़ती तादाद सुखद संकेत है और आगामी गणना में इसमें और इजाफा होना तय है। वर्ष 2014 में देश में बाघों की संख्या 2226 रही जबकि इस साल हो रही गणना में संख्या में उल्लेखनीय इजाफा हो सकता है।

बाघ संरक्षण के मामले में कॉर्बेट नेशनल पार्क की सराहना की गयी,साथ ही पार्कों के बाहर भी बाघों का बेहतर संरक्षण हो रही है इसकी भी प्रसंशा की गयी, वक्ताओं ने बताया कि टाइगर रिजर्व से बाहर उत्तराखंड का लैंसडौन वन प्रभाग एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे एनटीसीए ने अभी तक कोई फंडिंग नहीं की। इसके बावजूद प्रभाग बाघ संरक्षण के मामले में देश में पहले और विश्व में तीसरे नंबर पर हैं। इस मौके पर मौजूद प्रदेश के वन मंत्री हरक सिंह रावत ने बाघ संरक्षण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि वन्यजीव व बाघ संरक्षण के लिए जनसहभागिता का अहम योगदान है।