अलकन्दा हाइड्रो पॉवर कम्पनी लि. को कारण बताओ नोटिस जारी

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पौड़ी गढ़वाल। जिला मजिस्ट्रेट गढ़वाल सुशील कुमार ने श्रीनगर स्थित अलकन्दा हाइड्रो पॉवर कम्पनी लि. (एएचपीसी) द्वारा वित्त पोषित वैकल्पिक पेयजल स्रोत योजना में अनुबंध पत्र के विपरीत वित्तीय अनियमितताओं के चलते कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। मजिस्ट्रट ने कम्पनी को स्पष्टीकरण देने तथा धनराशि हर्जाना सहित वसूलने के साथ ही शासन से मिलने वाली सभी सुविधाओं को बन्द करने के भी निर्देश जारी किए हैं।

जिला मजिस्ट्रेट गढ़वाल सुशील कुमार ने बताया कि श्रीनगर स्थित अलकन्दा हाइड्रो पॉवर के साथ उत्तराखंड पेयजल संसाधन विकास एवं निर्माण निगम देवप्रयाग तथा पेयजल संस्थान पौड़ी ने मार्च 2012 में श्रीनगर स्थित वैकल्पिक पेयजल स्रोत येाजना का वित्त पोषण करने को लेकर त्रिपक्षीय अनुबंध किया गया था। उन्होंने बताया कि अनुबंध पत्र के अनुसार वैकल्पिक पेयजल येाजना के प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 1270.98 लाख निर्धारित हुई। योजना की पूर्ण धनराशि फरवरी 2013 तक निर्गत की जानी थी। योजना का निर्माण अप्रैल 2012 से सितम्बर 2013 तक पूरा किया जाना था। अनुबंध के अनुसार योजना की पूर्ण धनराशि अलकन्दा हाइड्रो पॉवर कम्पनी लि. द्वारा ही वहन की जानी थी। कार्यदायी संस्था उत्तराखंड पेयजल संसाधन विकास एवं निर्माण निगम देवप्रयाग की ओर से योजना के निर्माण में अभी तक नौ सौ लाख की धनराशि व्यय की जा चुकी है। कार्यदायी संस्था के अनुसार करीब चार सौ लाख की देयता एएचपीसी पर अवशेष है। उन्होंने बताया कि मई 2017 में प्रकरण को लेकर विचार विमर्श हेतु अलकनंदा हाइड्रो पॉवर कम्पनी लि., उत्तराखंड पेयजल संसाधन विकास एवं निर्माण निगम देवप्रयाग तथा अधिशासी अभियंता जल संस्थान पौड़ी की एक बैठक में कम्पनी ने अक्टूबर माह में अवशेष राशि को अवमुक्त करने का आश्वासन दिया। कार्यदायी संस्था का कहना है कि मई 2018 में योजना की अतिरिक्त निर्माण तिथि भी समाप्त हो जाएगी। ऐसे में योजना का निर्माण शीघ्र करना सम्भव नहीं है। जिला मजिस्ट्रेट ने वैकल्पिक पेयजल योजना के अनुबंध में कम्पनी द्वारा जानबूझकर हीलाहवाली से निर्माण कार्य में अत्यन्त देरी होना पाया। इससे न केवल पेयजल येाजना को हानि हुई बल्कि क्षेत्र को लोगों को शुद्ध पेयजल से भी वंचित होना पड़ा। मजिस्ट्रेट ने कम्पनी को शीघ्र ही अवशेष धनराशि को अवमुक्त करने के निर्देश दिये हैं। निर्देश नहीं मानने पर अवशेष धनराशि को हर्जाना समेत वसूलने तथा कम्पनी के समस्त सुविधाओं को बंद करने के भी निर्देश जारी किए हैं।