हरिद्वार को स्वच्छ और सुंदर बनाने में प्रशासन का सहयोग करे जनताः डीएम

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हरिद्वार। महाशिवरात्रि के मौके पर जिलाधिकारी दीपक रावत ने हरिद्वार की जनता से अपील की है कि अगर उनका साथ दें तो वो धर्मनगरी को अद्भुत, अकल्पनीय और अद्वितीय बनाना चाहते हैं। दीपक रावत चाहते हैं कि हरिद्वार को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए लोग जिला प्रशासन की मुहिम से जुड़ें।
अपने काम की वजह से चर्चाओं में रहने वाले दीपक रावत का कहना है कि उत्तराखंड का हर एक जिला अपने आप में अपनी कहानी कहता है। इससे पहले भी वह जिन जगहों पर रहे हैं, वह बेहद खूबसूरत है और वहां के लोग भी लेकिन हरिद्वार धर्म नगरी के साथ एक अलग शहर है। लिहाजा अकेले प्रशासन से कुछ नहीं होगा, इसके लिए हरिद्वार की जनता को भी आगे आना होगा।
दीपक रावत ने कहा कि हरिद्वार के लोग बड़े दिलवाले हैं और समझदार भी हैं इसलिए उन्होंने लोगों से अपील की है कि हरिद्वार को स्वच्छ बनाने की जो मुहिम जिला प्रशासन ने चलाई है, उसमें लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लें। दीपक रावत ने कहा कि बीते दिनों से हरिद्वार में चलाए जा रहे सफाई सर्वेक्षण में यहां की जनता ने प्रशासन का खूब साथ दिया है और उन्हें उम्मीद है कि जिला प्रशासन आगे जो भी कदम हरिद्वार को अलग पहचान दिलाने में उठाएगा जनता उनके साथ रहेगी।
पवित्र नगरी हरिद्वार के बारे में दीपक रावत ने अपनी राय देते हुए कहा कि प्रत्येक 12 साल में लगने वाले कुंभ मेले की व्यवस्थाओं को लेकर राज्य सरकार जो कदम उठा रही है, वह हरिद्वार की जनता को बेहद पसंद आने वाले हैं। इस बार का कुंभ मेला पिछले कुंभ मेले के मुताबिक कुछ अलग होगा। राज्य सरकार इस बार हरिद्वार में कुंभ मेले को कुछ इस तरह से बसाना चाहती है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं के साथ-साथ हरिद्वार की जनता को ना केवल उसका लाभ मिल सके बल्कि किसी तरह की कोई भी दिक्कत लोगों को ना आए।
दीपक रावत ने कहा कि वह हरिद्वार में रहते हुए यहां के स्कूलों, कॉलेजों और दूसरे शिक्षा संस्थानों की हालत में सुधार ला पाएं। डीएम इसके लिए हरिद्वार के कई कॉलेजों को डिजिटल फॉर्मेट में लाना चाहते हैं। जिसके लिए उन्होंने कुछ स्कूलों को चुना भी है, जिसमें जल्द ही छात्रों को डिजिटल लाइब्रेरी के साथ-साथ इंटरनेट से मिलने वाली दूसरी सुविधाओं का भी लाभ मिलेगा। साथ ही अगर किस को उनकी जरूरत महसूस होती है, तो बेझिझक उन्हें कोई भी फोन कर सकता है। हर रोज अपने दफ्तर में वह लगभग 100 से डेढ़ सौ लोगों से मिलते हैं, जिनसे मिलकर उन्हें ना केवल अच्छा लगता है बल्कि यह भी लगता है कि अभी भी हरिद्वार में बहुत कुछ होना बाकी है। जिसके लिए वह निरंतर प्रयास कर रहे हैं और करते रहेंगे।