ऋषिकेश। विदेशियों मे भारतीय संस्कृति को अपनाने के लिए दीवानगी का आलम देखने को मिल रहा है। योग, ध्यान और अध्यात्म के साथ पतित पावनी मां गंगा की शरण सात समुन्दर पार से आये विदेशियों को खूब लुभा रही है।
ऋषियों-मुनियों की तपो भूमि तीर्थ नगरी तेजी से अब भारतीय संस्कृति व सभ्यता को संरक्षित और पुनर्जीवित करने का केंद्र बनती जा रही है। इस पावन धरती पर हर साल देश-विदेश योग महोत्सव में जहां दुनिया भर से योग जिज्ञासु जुटते हैं वहीं वर्ष भर तपोभूमि विदेशियों से गुलजार नजर आती है।
भारतीय संस्कृति, सभ्यता, साधना और कला को जानने, समझने और सीखने की ललक ने विदेशियों के दिलो दिमाग पर जादू सा कर रखा है। कहा जाता है कि संस्कृति किसी भी राष्ट्र की आत्मा होती है। उस आत्मा को मजबूती प्रदान करना हम सबका दायित्व है।
इस बात को भले ही मोजूदा दौर की भारतीय युवा पीढ़ी न समझ पा रही हो लेकिन विदेशी महान भारतीय संस्कृति और सभ्यता को लेकर जिस प्रकार उत्साहित और उत्प्रेरित हैं वो अपने आप में बेहद हैरान करने वाली है। भारतीय पारम्परिक पोशाकों,सौन्दर्य प्रसाधनों एवं भारतीय व्यजंनों के प्रति भी विदेशियों में जबर्दस्त क्रेज है। तीर्थाटन एवं पर्यटन की दृष्टि से भी यह एक सुखद संकेत है।